Aravalli Hills News: अरावली मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने 100 मीटर ऊंचाई के आधार पर अरावली की परिभाषा सीमित करने वाले फैसले पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि पूर्व में जारी आदेश पर आवश्यकता अनुसार विचार किया जाएगा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, संबंधित राज्यों और एमिकस क्यूरी को नोटिस जारी किया है.
इस तरह CJI की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अरावली मुद्दे की दोबारा जांच के संकेत दिए हैं. अरावली की ऊंचाई, विस्तार, पारिस्थितिकी और खनन पर विशेषज्ञ समिति बनाने का प्रस्ताव दिय गया है. पहले की विशेषज्ञ रिपोर्ट की भी प्रस्तावित समिति दोबारा समीक्षा करेगी. इस मामले की अब अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी.
भूपेंद्र यादव ने अरावली को लेकर क्या कहा था?
बता दें कि इससे पहले केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा था कि अरावली को बचाना केवल एक पहाड़ी श्रृंखला को बचाने का सवाल नहीं है. यह देश के पर्यावरण, जल सुरक्षा और पारिस्थितिकी संतुलन से जुड़ा विषय है.
उन्होंने कहा था कि सरकार अरावली के संरक्षण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट फैसला भी आ चुका है. खनन के उद्देश्य से अरावली और अरावली पहाड़ियों की परिभाषा तय की गई है. सबसे अहम बात यह है कि अवैध खनन पर पूरी तरह रोक लगे.
भूपेंद्र यादव ने आगे कहा था कि जब तक एक वैज्ञानिक और ठोस मैनेजमेंट प्लान नहीं बन जाता, तब तक किसी भी तरह के नए खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी. इस योजना को तैयार करने की जिम्मेदारी आईसीएफआरई को सौंपी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस परिभाषा को दी थी मंजूरी
बता दें कि इससे पहले 20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों और रेंज की एक समान और वैज्ञानिक परिभाषा को मंजूरी दी थी. साथ ही दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैले अरावली क्षेत्र में विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने तक नई खनन लीज देने पर रोक लगा दी थी.
कोर्ट ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए कहा था कि दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक अरावली की रक्षा के लिए स्पष्ट और वैज्ञानिक परिभाषा बेहद जरूरी है.
‘100 मीटर या उससे अधिक होने पर माना जाएगा अरावली पहाड़ी’
समिति के मुताबिक अरावली जिलों में स्थित कोई भी भू-आकृति, जिसकी ऊंचाई जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक हो, उसे अरावली पहाड़ी माना जाएगा. इसके अलावा 500 मीटर के दायरे में स्थित दो या उससे अधिक ऐसी पहाड़ियों को मिलाकर अरावली रेंज की श्रेणी में रखा जाएगा.
पहाड़ी के साथ उसकी सहायक ढलानें, आसपास की भूमि और संबंधित भू-आकृतियां, चाहे उनका ढाल कितना भी हो, अरावली का हिस्सा मानी जाएंगी. इसी तरह दो पहाड़ियों के बीच का क्षेत्र भी निर्धारित मापदंडों के अनुसार अरावली रेंज में शामिल होगा.

