Ambikapur Garbage Cafe: स्वच्छता और नवाचार के क्षेत्र में अंबिकापुर ने देश में अपनी अलग पहचान बनाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम “मन की बात” में छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर नगर निगम की प्रशंसा करते हुए कहा, “गार्बेज कैफ़े जैसी पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, बल्कि सामाजिक संवेदनशीलता और मानवता का एक प्रेरक उदाहरण भी हैं.”
उन्होंने कहा, “यह एक ज्वलंत उदाहरण है. अगर आप ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं है.” प्रधानमंत्री की प्रशंसा के बाद, अंबिकापुर का नाम एक बार फिर राष्ट्रीय पटल पर गूंज उठा है.
प्लास्टिक कचरे के बदले मिलता है खाना
2019 में अंबिकापुर नगर निगम ने देश का पहला “गार्बेज कैफ़े” शुरू किया. इसका उद्देश्य शहर से प्लास्टिक कचरा हटाना और ज़रूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराना था. इस कैफ़े में कोई भी अपनी भूख पैसों से नहीं, बल्कि प्लास्टिक कचरे से मिटा सकता है.
यहां के नियम हैं काफी दिलचस्प
हर एक किलोग्राम प्लास्टिक कचरे के बदले एक प्लेट चावल, दाल, दो सब्ज़ियां, रोटी, सलाद और अचार मिलता है. हर आधा किलोग्राम प्लास्टिक के बदले समोसा, वड़ा पाव या आलू चाप जैसा स्वादिष्ट नाश्ता मिलता है. इस योजना ने गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने का एक मंच तैयार किया है. इसने शहर की सफाई व्यवस्था को भी नया जीवन दिया है.
अंबिकापुर नगर निगम के अधिकारियों का मानना है कि कचरा बीनने वाले ही शहर को स्वच्छ रखने के सच्चे योद्धा हैं. गार्बेज कैफ़े न केवल उन्हें भोजन उपलब्ध कराता है, बल्कि उनके काम को सम्मान भी दिलाता है. यह पहल यह संदेश देती है कि समाज द्वारा अक्सर नज़रअंदाज़ किए जाने वाले लोग ही पर्यावरण संरक्षण की रीढ़ हैं. कैफ़े से एकत्रित प्लास्टिक को बाद में रीसाइक्लिंग के लिए भेजा जाता है और प्लास्टिक सामग्री के निर्माण में उपयोग किया जाता है. सड़क निर्माण में भी इसकी उपयोगिता सुनिश्चित की गई है.
देश भर में गूंज रहा है अंबिकापुर का मॉडल
अंबिकापुर की इस पहल ने देश भर के नगर निगमों को प्रेरित किया है. उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के कई नगर निगमों ने प्लास्टिक कचरे के निपटान के लिए अलग-अलग नामों से गार्बेज कैफ़े शुरू किए हैं, जहां नाश्ता, चाय और कॉफ़ी भी उपलब्ध है. निगम अधिकारियों का मानना है कि अगर हर शहर में ऐसे कैफ़े खोले जाएँ, तो इससे दोहरी समस्या का समाधान हो सकता है. एक तरफ़, गरीबों को खाना मिलेगा और दूसरी तरफ़, शहर प्लास्टिक मुक्त हो जाएगा. इससे रीसाइक्लिंग उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और रोज़गार के नए अवसर भी पैदा होंगे.

