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हर सिप के साथ बढ़ता खतरा; शराब के पीछे छिपी सच्चाई सुनकर दिमाग हिल जाएगा

Alcohol effects: हफ्ते में एक बार शराब पीना भी शरीर के लिए पूरी तरह सुरक्षित नहीं है. डॉक्टर जयंता ठकुरिया के अनुसार थोड़ी मात्रा भी लिवर, दिल, किडनी और नींद पर नकारात्मक असर डाल सकती है. शराब से दूरी ही बेहतर विकल्प है.

Published by Team InKhabar

Alcohol Effects: अक्सर लोग मानते हैं कि अगर शराब सीमित मात्रा में पी जाए तो इससे कोई नुकसान नहीं होता. लेकिन रुमेटोलॉजिस्ट (गठिया रोग विशेषज्ञ) डॉ. जयंता ठकुरिया का कहना है कि यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है. वे बताते हैं कि अगर कोई व्यक्ति हफ्ते में 60ml तक शराब लेता है, तो ज़्यादातर लोगों के लिए यह कभी-कभी नुकसानदेह नहीं होती है लेकिन इसे पूरी तरह सुरक्षित भी नहीं कहा जा सकता.

डॉ. जयंता ठकुरिया क्या  है कहना?

डॉ. ठकुरिया चेतावनी देते हैं कि कई लोग  कम बार, लेकिन ज़्यादा मात्रा में शराब पीते हैं, जिसे बिंज ड्रिंकिंग कहा जाता है. यह आदत शरीर के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है, क्योंकि इससे लिवर की बीमारियां, हृदय संबंधी दिक्कतें, और गंभीर मामलों में जान का खतरा तक बढ़ जाता है.

लिवर और किडनी पर बोझ

डॉ. ठकुरिया बताते हैं कि हफ्ते में एक बार शराब पीना भी लिवर पर दबाव डालता है. लंबे समय तक ऐसा करते रहने से फैटी लिवर या लीवर सिरोसिस जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. शराब शरीर से पानी खींच लेती है, जिससे डिहाइड्रेशन होता है और इसका असर किडनी की कार्यक्षमता पर पड़ता है.

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दिल और रक्त संचार पर प्रभाव

शराब का सेवन ब्लड प्रेशर को अस्थिर कर देता है और दिल की धड़कनें अनियमित कर सकता है. अगर कोई व्यक्ति शराब के साथ स्मोकिंग भी करता है, तो दिल की बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.शराब में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है. इसे भारी भोजन या स्नैक्स के साथ लेने से वजन बढ़ता है, खासकर पेट के आसपास चर्बी जमा होती है. साथ ही शराब मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देती है, जिससे शरीर में फैट बर्न होना मुश्किल हो जाता है.

नींद पर असर

शराब पीने के बाद भले ही नींद जल्दी आ जाए, लेकिन यह गहरी नींद की गुणवत्ता को खराब करती है. इसके परिणामस्वरूप सुबह थकान, सुस्ती और चिड़चिड़ापन महसूस होता है. यह स्थिति लंबे समय में मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है. अगर कोई व्यक्ति दवाइयां ले रहा है तो खासकर नींद, मानसिक स्वास्थ्य या क्रॉनिक बीमारियों से जुड़ी तो शराब उनके साथ खतरनाक रिएक्शन कर सकती है. इसलिए डॉक्टरों की सलाह है कि ऐसी किसी भी दवा के साथ शराब बिल्कुल न लें. इन्हीं कारणों की वजह से मद में चूर व्यक्ति का इलाज नहीं करता है या बहुत ही सावधानी बरकता है.

अंत में डॉ. ठकुरिया साफ कहते हैं कि गर्भवती महिलाएं, क्रॉनिक डिजीज से पीड़ित लोग या जो नियमित रूप से दवाएं ले रहे हैं, उन्हें शराब से पूरी तरह दूर रहना चाहिए. उनका मानना है कि थोड़ी मात्रा में शराब भले नुकसान कम करे लेकिन ये सुरक्षित तो बिल्कुल भी नहीं होती है.

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