हर वेतन आयोग के साथ शून्य क्यों होता है महंगाई भत्ता? समझिए पूरी कहानी

8th Pay Commission News: महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों के वेतन का एक महत्वपूर्ण घटक है. इसका प्राथमिक उद्देश्य उन्हें बढ़ती मुद्रास्फीति (inflation) और जीवन-यापन की लागत से बचाना है.

Published by Shubahm Srivastava

8th Pay Commission: केंद्र सरकार ने आखिरकार आठवें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है, जिससे देश भर के लाखों सरकारी कर्मचारियों के चेहरे खिल उठे हैं. हालांकि, हमेशा की तरह, एक सवाल उठता है – नए वेतन आयोग के लागू होने पर महंगाई भत्ता (DA) शून्य ‘0’ क्यों हो जाता है? चलिए इसका जवाब जान लेते हैं.

बता दें कि महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों के वेतन का एक महत्वपूर्ण घटक है. इसका प्राथमिक उद्देश्य उन्हें बढ़ती मुद्रास्फीति (inflation) और जीवन-यापन की लागत से बचाना है. बाजार मूल्यों में उतार-चढ़ाव के बावजूद कर्मचारियों की क्रय शक्ति बनाए रखने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price Index) के आधार पर इसे हर छह महीने में संशोधित किया जाता है.

वेतन आयोग की भूमिका

हर 10 साल में, केंद्र सरकार एक वेतन आयोग का गठन करती है, जो सरकारी कर्मचारियों के संपूर्ण वेतन ढांचे की समीक्षा करता है. इसका उद्देश्य वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों, मुद्रास्फीति दरों और बाजार मूल्यों को ध्यान में रखते हुए वेतन को अधिक यथार्थवादी (Realistic) बनाना है. नया वेतन ढांचा आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर स्थापित किया जाता है.

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महंगाई भत्ते का मूल वेतन में विलय

नए वेतन आयोग से पहले, कर्मचारियों का महंगाई भत्ता काफ़ी बढ़ गया था—कभी-कभी तो मूल वेतन के 40% से भी ज़्यादा. जब नया वेतनमान (pay scale) लागू होता है, तो इस महंगाई भत्ते को फिटमेंट फैक्टर के जरिए मूल वेतन में मिला दिया जाता है. उदाहरण के लिए, अगर किसी कर्मचारी का वेतन 40,000 था और महंगाई भत्ता 46% था, तो उनका नया वेतन 1,02,800 होगा और फिटमेंट फैक्टर 2.57 होगा.

महंगाई भत्ता शून्य क्यों है?

चूंकि इस प्रक्रिया के दौरान सभी मुद्रास्फीति को पहले ही वेतन में समायोजित कर दिया गया है, इसलिए नया महंगाई भत्ता 0% से शुरू होता है. फिर यह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के अनुसार हर छह महीने में बढ़ता है. यही कारण है कि प्रत्येक वेतन आयोग के बाद महंगाई भत्ते को रीसेट किया जाता है.

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