सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के खतरे पर फिर से कड़ा रुख अपनाते हुए अहम निर्देश जारी किए हैं. बेंच ने स्पष्ट कहा है कि सरकारी-निजी शैक्षणिक संस्थान, बस और रेलवे स्टेशनों तथा अस्पतालों के परिसर से आवारा कुत्तों का प्रवेश रोका जाए, इन्हें सुरक्षित आश्रयों में स्थानांतरित किया जाए और नसबंदी के बाद उन्हें उसी क्षेत्र में वापस नहीं छोड़ा जाएगा ताकि कुत्ते के काटने और रेबीज़ के खतरों को रोका जा सके.
दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायालय ने निर्देश दिया कि ऐसे कुत्तों को निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में पहुँचाया जाए. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने आवारा कुत्तों के संबंध में कई निर्देश जारी किए, जिनमें राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से मवेशियों और अन्य आवारा पशुओं को हटाकर उन्हें निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करना शामिल है.
आवारा कुत्तों को संस्थानों और सार्वजनिक क्षेत्रों से हटाने के दिए सख्त निर्देश
पीठ ने अधिकारियों को कुत्तों के काटने की घटनाओं को रोकने के लिए सरकारी, निजी शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों के परिसरों में आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने का निर्देश दिया. इसने निर्देश दिया कि ऐसे संस्थानों से पकड़े गए आवारा कुत्तों को वापस उसी क्षेत्र में नहीं छोड़ा जाना चाहिए. पीठ ने अधिकारियों को राजमार्गों के उन हिस्सों की पहचान करने के लिए एक अभियान चलाने का भी निर्देश दिया जहाँ आवारा पशु अक्सर पाए जाते हैं. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी के लिए निर्धारित की.
संस्थागत क्षेत्रों में कुत्तों के काटने की गंभीर समस्या से निपटने के निर्देश
3 नवंबर को, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह संस्थागत क्षेत्रों में कुत्तों के काटने की गंभीर समस्या से निपटने के लिए अंतरिम निर्देश जारी करेगा, जहाँ कर्मचारी आवारा कुत्तों को खाना खिलाते और प्रोत्साहित करते हैं. शीर्ष अदालत राजधानी में कुत्तों के काटने से रेबीज़ फैलने की मीडिया रिपोर्ट के बाद 28 जुलाई को स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रही है. इसने आवारा कुत्तों के मुद्दे को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सीमाओं से आगे बढ़ाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्ष बनाने का निर्देश दिया.

