New Delhi: देश की राजधानी दिल्ली (New Delhi) के किराड़ी में प्रेम नगर इलाके की रेलवे लाइन पार करते हुए दो मासूम लड़कियों की जान चली गई. दोनों की मौत तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आने के कारण हुई. इस दुखद घटना के बाद, यहां के लोगों ने एफओबी द्वारा उचित व्यवस्था न होने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया. यह राजधानी में पहली बार नहीं हुआ है कि इस तरह किसी की जान गई हो. पहले भी कई लोग अपनी जान व्यवस्था न होने के कारण गवां चुके हैं.
कितने लोगों की जा चुकी है जान?
ट्रेन हादसों (Train Accident) के खबरों में अधिकतर लोग जल्दी के चक्कर में शॉर्टकट लेने की कोशिश कर रहे पैदल यात्री शामिल होते हैं. फिर चाहें वह बच्चे स्कूल जाने की जल्दी में हो या फिर बड़े ऑफिस जाने की जल्दी में. रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 31 अगस्त तक रेलवे ट्रैक पर 1,134 घटनाएं हुई हैं. इन घटनाओं में 947 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं 211 लोगों के घायल होने की जानकारी भी है. इन दुर्घटनाओं का कारण लोगों की लापरवाही है.
रेलवे ट्रैक बने ‘मौत का कुआं’
आरपीएफ (RPF) के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, सबसे ज्यादा घटनाएं दिल्ली-शाहदरा और दिल्ली-रोहतक रेलवे ट्रैक पर हुई हैं. जिन्हें रोकने के लिए जुर्माना लगाने सहित कई अहम प्रयास किए गए हैं. लेकिन इसके बावजूद यह थमने का नाम नहीं ले रही हैं. रेलवे सुरक्षा बल वैध तरीके से पटरियां पार करने वालों के खिलाफ कई बार कार्रवाई कर चुका है. लेकिन इसके बावजूद आस पास की बस्तियों में रहने वाले लोग, बच्चे और बुजुर्ग सभी लापरवही बरतते हैं. यह लोग अपनी जान जोखिम में डालकर पटरियां पार करते हैं. रेलवे एक्ट की धारा 17 के मुताबिक, अवैध तरीके से पटरियां पार करने पर छह महीने की जेल साथ ही एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
लापरवाहियों के कारण
- शॉर्टकट लेने की कोशिश.
- कानों में हेडफ़ोन लगाकर रेलवे ट्रैक पार करने की कोशिश.
- नशे में पटरियों के पार करना या उन पर सोना.
- मोबाइल फ़ोन पर बात करते हुए रेलवे ट्रैक पार करना.
- सेल्फी या वीडियो बनाने की कोशिश करना.

