दिल्ली के रेड फोर्ट के पास हुए धमाके की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है. सुरक्षा एजेंसियों को पता चला है कि इस घटना के पीछे एक ऐसा नेटवर्क काम कर रहा था, जिसकी डोर अफगानिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में बैठे लोगों से जुड़ी है. भारत में मौजूद कुछ लोग उनसे टेलीग्राम जैसी ऐप के जरिए बात करते थे.
जांच में तीन मेन विदेशी लोगों के नाम सामने आए हैं: फैसल इश्फाक भट, डॉ. उकाशा और हाशिम. ये तीनों अफगानिस्तान या PoK से भारतीय लोगों को निर्देश दे रहे थे.
सब कुछ पोस्टरों से शुरू हुआ
19 अक्टूबर को कश्मीर के कई इलाकों में जैश-ए-मोहम्मद का नाम लिखे धमकी भरे पोस्टर लगे मिले. 20 अक्टूबर को पुलिस ने तीन युवकों- यासिर, आरिफ और मक्सूद को गिरफ्तार किया. इन लोगों ने माना कि पोस्टर उन्होंने ही बनाए थे. जांच में पता चला कि इनमें से आरिफ टेलीग्राम पर एक ऐसे ग्रुप से जुड़ा था, जिसे पाकिस्तान में बैठा एक व्यक्ति चला रहा था. इन सबका रिश्ता एक मौलवी, इरफान वगाय, से भी जुड़ा हुआ था.
मौलवी की गिरफ्तारी और बड़ा मोड़
27 अक्टूबर को पुलिस ने मौलवी वगाय को गिरफ्तार किया. उसने बताया कि वो इन युवकों को जानता था और कभी उन्हें पिस्तौल और ग्रेनेड भी दिया था, जो बाद में उसने वापस ले लिए थे. वो विदेश में बैठे हाशिम और इश्फाक से भी लगातार बात करता था. पूछताछ में उसने ये भी बताया कि वो दो साल पहले फरीदाबाद के एक अस्पताल में एक कश्मीरी डॉक्टर -डॉ. मम्मिल गनई से मिला था. यही बात जांच को कश्मीर से बाहर हरियाणा और यूपी तक ले गई.
डॉक्टरों का एक ग्रुप एक्टिव था
वगाय की बातों पर पुलिस ने जमीर अहमद को पकड़ा. जमीर कई टेलीग्राम ग्रुपों में एक्टिव था और विदेश में बैठे लोगों से निर्देश लेता था. उसने कहा कि वह पैसों और हथियारों की मदद करता था. इसके बाद 29 अक्टूबर को पुलिस ने डॉ. गनई को गिरफ्तार किया. उसके फोन में कई नकली टेलीग्राम आईडी मिलीं जिनसे वह अन्य लोगों, जैसे- डॉ. अदील राठर, डॉ. उमर नबी से बात करता था.
उमर नबी की तलाश और धमाका
5 नवंबर को डॉ. राठर को पकड़ लिया गया, लेकिन उमर नबी गायब हो गया. 10 नवंबर को CCTV में एक सफेद कार रेड फोर्ट के पास पार्क होती दिखी. शाम करीब 6:48 बजे वही कार सड़क पर निकलते ही तेज धमाके से उड़ गई. फॉरेंसिक टीम ने कहा कि कार में बहुत तेज विस्फोटक पदार्थ जैसे अमोनियम नाइट्रेट और TATP- का इस्तेमाल किया गया था.
जांच से साफ हुआ कि ये कोई छोटा मामला नहीं था. पोस्टरों से शुरू हुई कहानी ने एक बड़े आतंकी नेटवर्क का खुलासा कर दिया, जो सीमा के उस पार बैठे लोगों से लेकर भारत के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे लड़कों तक फैला हुआ था. पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क की बाकी कड़ियों को जोड़ने में लगी है.

