रायपुर, छत्तीसगढ़ से दीपक विश्वकर्मा की रिपोर्ट
Chhattisgarh: साय कैबिनेट में चौदहवें मंत्री के खिलाफ कांग्रेस हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के मूड में है। इस सिलसिले में पार्टी के नेता कानूनी सलाह ले रहे हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक पूर्व सीएम और पाटन से विधायक भूपेश बघेल ने पिछले दिनों इस सिलसिले में बिलासपुर हाईकोर्ट के कुछ वकीलों से चर्चा की है, और विष्णु देव साय कैबिनेट में 14 वें मंत्री को शपथ दिलाए जाने के मसले पर सलाह ली है। इस बात पर सहमति बनी है कि उक्त विषय को लेकर याचिका दायर की जानी चाहिए।
बताया गया कि बघेल की पूर्व विधि मंत्री मोहम्मद अकबर से भी चर्चा हुई है। अकबर रमन सरकार में संसदीय सचिवों की नियुक्ति के मसले पर हाईकोर्ट में लड़ाई लड़ चुके हैं। यह तय होना बाकी है कि कांग्रेस के किस विधायक की तरफ से याचिका दायर की जाएगी, या फिर किसी सामाजिक कार्यकर्ता के माध्यम से याचिका दायर की जाए।
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नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने अतिरिक्त मंत्री को हटाए जाने की मांग की
नेता प्रतिपक्ष महंत ने राज्यपाल को पत्र में लिखा कि, छत्तीसगढ़ के मंत्रिपरिषद् में मंत्रियों की कुल संख्या, भारत का संविधान के अनुच्छेद 164 (1 क) के विपरीत, विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक हो जाने के कारण, एक मंत्री को पद से हटाया जाये।
उन्होंने संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि-
किसी राज्य की मंत्रिपरिषद् के मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या उस राज्य की विधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या के पन्द्रह प्रतिशत से अधिक नहीं होगी, परंतु किसी राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या बारह से कम नहीं होगी। संविधान (इक्यानवेवां संशोधन) अधिनियम, 2003 के प्रारम्भ पर मंत्रिपरिषद् में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या, यथास्थिति, उक्त पन्द्रह प्रतिशत या पहले परन्तुक में विनिर्दिष्ट संख्या से अधिक है वहां उस राज्य में मंत्रियों की कुल संख्या ऐसी तारीख से, जो राष्ट्रपति लोक अधिसूचना द्वारा नियत करें, छह मास के भीतर इस खण्ड के उपबंधों के अनुरूप लाई जाएगी।
क्या है अनुच्छेद 164 (1 क)?
तीन नये मंत्रियों के द्वारा पद की और गोपनीयता की शपथ ग्रहण कर लेने से मंत्रिपरिषद् के मंत्रियों की मुख्यमंत्री सहित कुल संख्या 14 हो गई है। छत्तीसगढ़ विधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 90 है। संविधान का अनुच्छेद 164 (1 क) के अनुसार राज्य की मंत्रिपरिषद् में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या पन्द्रह प्रतिशत से अधिक नहीं होगी, 90 का 15 प्रतिशत 13.50 होता है अर्थात् मंत्रियों की संख्या मुख्यमंत्री सहित, 13.50 से अधिक नहीं होगी। वर्तमान में यह संख्या 14 है, जो 13.50 से अधिक है।
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महंत ने कहा था कि कि, 14 मंत्रियों में से किसी एक मंत्री को पद से हटाते हुए संविधान के अनुच्छेद 164 (1 क) का पालन किया जाना सुनिश्चित करे
गौरतलब है कि हरियाणा का फार्मूला छत्तीसगढ़ में भी लागू किया गया है वहाँ भी विधानसभा की 90 सीट है और वहाँ मामला कोर्ट जा चुका है हाईकोर्ट ने हरियाणा और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी। 17 अक्टूबर को नायब सैनी के अलावा 13 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इसके बाद 18 अक्टूबर को एडवोकेट जगमोहन भट्टी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की। संविधान के 91वें संशोधन के तहत राज्य में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती।
अब गौर करने वाली बात होगी कि हरियाणा की तर्ज पर कोर्ट छत्तीसगढ़ सरकार को भी नोटिस जारी कर सकती है क्या ?

