NPS Rule Changes From October 1st: इस 1 अक्टूबर से देश में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. इनमें नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के नियम भी शामिल हैं. रिपोर्ट्स बताती हैं कि नए NPS नियमों के तहत, गैर-सरकारी कर्मचारी अब 100% तक इक्विटी में निवेश कर सकते हैं.
इस बदलाव का उद्देश्य निवेशकों को ज़्यादा रिटर्न देना है, लेकिन यह निवेशकों के जोखिम पर होगा, क्योंकि इसमें शेयर बाज़ार का जोखिम भी शामिल है. इसके अलावा, एक नया मल्टीपल स्कीम फ्रेमवर्क (MSF) भी पेश किया जाएगा, जिससे निवेशक एक ही PRAN नंबर के तहत विभिन्न योजनाओं का प्रबंधन कर सकेंगे.
एग्जिट और विड्रॉल नियमों में बदलाव
अब तक, निवेशकों के पास एक बार निवेश करने के बाद, सेवानिवृत्ति के बाद ही निकासी का विकल्प होता था. हालांकि, अब वो 15 साल बाद भी निकासी (विड्रॉल) कर सकते हैं. इसके अलावा, शिक्षा, चिकित्सा व्यय या घर निर्माण जैसी जरूरतों के लिए आंशिक निकासी प्रक्रिया को पीएफ की तरह सरल बनाया जाएगा. इससे निवेशकों को एक लचीला ढांचा मिलेगा.
इन नियमों में नहीं होगा कोई बदलाव
निकासी (विड्रॉल) से जुड़े टैक्स नियमों में कोई बदलाव नहीं होगा. 80% एकमुश्त निकासी में से 60% पर टैक्स नहीं लगेगा, जबकि बाकी 20% पर आय स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा. पिछले साल सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) शुरू की थी, जो खास तौर पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए थी. हालांकि, इसका रिस्पॉन्स अच्छा नहीं रहा और अब उन्हें राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में लौटने का विकल्प दिया गया है.
बदलाव से निवेशको क्या फायदा होगा?
एनपीएस में पूरी राशि निवेश करने का अवसर उन्हें ज़्यादा रिटर्न की संभावना प्रदान करेगा, जिससे उनकी संपत्ति तेज़ी से बढ़ सकती है. इसके अलावा, इक्विटी निवेश के अवसर और आसान निकासी नियम एनपीएस को निवेशकों के लिए और भी आकर्षक बना देंगे. इससे निवेशकों को आपात स्थिति में पैसा निकालने और अपनी जमा राशि फिर से भरने में भी मदद मिलेगी.
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