Income Tax Refund: ये कुछ ऐसे कारण हैं जो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस महीने टैक्सपेयर्स को भेजे गए टेक्स्ट मैसेज और ईमेल में बढ़ोतरी के लिए बताए हैं.
आमतौर पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के ऑफिशियल पोर्टल पर दी गई जानकारी के अनुसार रिफंड टैक्सपेयर के अकाउंट में क्रेडिट होने में 4-5 हफ्ते लगते हैं. इस टाइमलाइन के हिसाब से ज़्यादातर इनकम टैक्स रिफंड अक्टूबर के आखिर तक जारी हो जाने चाहिए थे, क्योंकि व्यक्तियों और नॉन-ऑडिट मामलों के लिए फाइलिंग की डेडलाइन 16 सितंबर थी. फाइल किए गए सभी रिटर्न में से लगभग 95 प्रतिशत व्यक्तियों द्वारा फाइल किए जाते हैं.
अगर सभी कटौतियों और छूटों को ध्यान में रखने के बाद TDS, TCS, एडवांस टैक्स या सेल्फ-असेसमेंट टैक्स के ज़रिए चुकाया गया टैक्स असल देय राशि से ज़्यादा है तो इनकम टैक्स रिफंड जारी किया जाता है.
इस साल इनकम टैक्स रिफंड में देरी क्यों हो रही है?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अनुसार “रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क” के ज़रिए कुछ टैक्सपेयर्स की पहचान की गई है जो ऐसे डिडक्शन या छूट का इस्तेमाल करके “गलत रिफंड” क्लेम कर रहे हैं जिसके वे हकदार नहीं हैं. डिपार्टमेंट ने बताया कि इससे “इनकम कम दिखाने” की समस्या हुई है.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कई बड़ी गड़बड़ियों का पता लगाया है:
1. रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों (RUPPs) को “फर्जी” चंदा, कुछ मामलों में दान देने वालों के गलत पैन कार्ड शामिल हैं.
2. टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) और एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) के बीच बेमेल, जिससे ज़्यादा इनकम दिख रही है.
3. बड़े डिडक्शन या गलत क्लेम.
4. विदेशी संपत्ति या इनकम का खुलासा न करना.
इससे पहले 13 दिसंबर को जारी एक बयान में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की सबसे बड़ी संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने कहा था कि उसने कई ऐसे बिचौलियों के खिलाफ कार्रवाई की है जो इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय गलत डिडक्शन और छूट का दावा कर रहे थे.
बयान में कहा गया है “इस जांच में पता चला है कि कुछ बिचौलियों ने कमीशन के आधार पर धोखाधड़ी वाले क्लेम फाइल करने के लिए पूरे भारत में एजेंटों का एक नेटवर्क बनाया है.” सूत्रों ने बताया कि डेटा एनालिटिक्स ने 200,000 से ज़्यादा टैक्सपेयर्स को फ़्लैग किया है, जिन्होंने सेक्शन 80GGC के तहत लगभग ₹5,500 करोड़ के संदिग्ध डिडक्शन का दावा किया था, जो संदिग्ध या गैर-मौजूद रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टियों (RUPPs) और चैरिटेबल संगठनों के ज़रिए किए गए थे.
इसी तरह, कई टैक्सपेयर्स को भी डिपार्टमेंट से ईमेल मिले जिसमें उनसे 31 दिसंबर तक अपनी विदेशी इनकम और एसेट्स की डिटेल्स सही से फाइल करने और अपने रिटर्न को रिवाइज करने के लिए कहा गया था.”…अमेरिकी अधिकारियों ने डेटा शेयर किया है जिससे पता चलता है कि आपने कैलेंडर वर्ष 2024 के दौरान विदेशी एसेट्स या इनकम (जैसे बैंक अकाउंट, ब्याज, डिविडेंड, इन्वेस्टमेंट) रखे या कमाए थे. हालांकि, असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए आपके ITR में शेड्यूल फॉरेन एसेट्स शामिल नहीं था,” ऐसे ही एक ईमेल में कहा गया था.
विदेशी इनकम का खुलासा न करने पर ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी इनकम और एसेट्स) और टैक्स लगाने का अधिनियम, 2015 के तहत पेनल्टी लग सकती है.
असामान्य मामले, उच्च-मूल्य वाले रिफंड की जांच
कुछ अजीब मामले भी सामने आए हैं. कुछ टैक्सपेयर्स ने बताया है कि कोई डिडक्शन या छूट क्लेम न करने के बावजूद उन्हें मैसेज मिले हैं, जबकि दूसरों ने कहा कि उन्हें कोई SMS/ईमेल नहीं मिला, लेकिन उनके रिफंड रोक दिए गए हैं. कई टैक्सपेयर्स को नई टैक्स सिस्टम चुनने के बाद भी SMS मैसेज मिले हैं जिसमें स्टैंडर्ड डिडक्शन को छोड़कर कोई डिडक्शन या छूट नहीं मिलती है.
टैक्स डिपार्टमेंट के करीबी सूत्रों ने बताया कि कुछ मामलों में SMS या ईमेल इसलिए भेजे गए क्योंकि दूसरी गड़बड़ियां थीं, भले ही कोई डिडक्शन या छूट क्लेम न की गई हो. उदाहरण के लिए, एक कॉन्ट्रैक्टर के लिए काम करने वाले एक टैक्सपेयर का TDS प्रोफेशनल सर्विसेज़ कैटेगरी के तहत काटा गया था, लेकिन फाइल किया गया रिटर्न सैलरी वाली इनकम के लिए ITR-1 था न कि बिज़नेस इनकम के लिए. इसलिए टैक्सपेयर को एक ईमेल भेजा गया जिसमें उनसे अपना रिटर्न रिवाइज करने के लिए कहा गया.
ज़्यादा रकम वाले रिफंड खासकर ₹50,000 से ज़्यादा वाले की जांच की जा रही है और टैक्सपेयर्स 16 सितंबर की डेडलाइन के बाद से रिफंड में देरी की शिकायत कर रहे हैं. उनमें से कई ने यह भी बताया है कि रिफंड न मिलने के कारण उन्हें घर के खर्चों को पूरा करने में फाइनेंशियल लिक्विडिटी की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

