आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य भले ही अपने मायके से दूर हैं, लेकिन उनके ‘X’ हैंडल (पहले ट्विटर) की पोस्टिंग लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. विधानसभा चुनाव के बाद राबड़ी आवास छोड़ने वाली रोहिणी ने अब एक नया मोर्चा खोला है.
गुरुवार (11 दिसंबर, 2025) को किए गए इस पोस्ट में, उन्होंने न केवल महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए चल रही योजनाओं की अपर्याप्तता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि ‘मायके’ को हर बेटी के लिए एक ‘सुरक्षित स्थान’ बनाने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया है.
यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने परिवार से दूर रहकर भी अपनी मुखर राय रखी है. आखिर क्या है रोहिणी आचार्य के इस नवीनतम पोस्ट का मतलब, और क्या यह बिहार की गहरी पितृसत्तात्मक मानसिकता पर सीधा प्रहार है?
महिला सशक्तिकरण के लिए काफी नहीं है लड़कियों को साइकिल बांटना
रोहिणी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा “लड़कियों को 10,000 रुपये देना या साइकिलें बांटना, भले ही नेक इरादे से किया गया हो, लेकिन ये भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण में बाधा डालने वाले व्यवस्थागत मुद्दों को हल करने के मद्देनजर अपर्याप्त है. सरकार और समाज का यह प्रथम दायित्व होना चाहिए कि वह बेटियों के समान अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए, खासकर सामाजिक और पारिवारिक उदासीनता के मद्देनजर.”
प्रत्येक बेटी को इस आश्वासन के साथ बड़े होने का अधिकार
रोहिणी ने आगे लिखा “बिहार में गहरी जड़ें जमा चुकी पितृसत्तात्मक मानसिकता सामाजिक और राजनीतिक, दोनों क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता पैदा करती है. प्रत्येक बेटी को इस आश्वासन के साथ बड़े होने का अधिकार है कि उसका मायका एक ऐसा सुरक्षित स्थान है ,जहाँ वह बिना किसी डर, अपराधबोध, शर्म या किसी को कोई स्पष्टीकरण दिए बिना लौट सकती है. इस उपाय को लागू करना केवल एक प्रशासनिक दायित्व नहीं है, बल्कि अनगिनत महिलाओं को भविष्य में होने वाले शोषण और उत्पीड़न से बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.”
पितृसत्तात्मक सोच पर रोहिणी का कड़ा प्रहार
मालूम हो कि पिछले महीने बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद लालू परिवार पूरी तरह से बिखड़ गया, वजह थी चुनाव में राजद का खराब प्रदर्शन। चुनाव परिणाम आने के बाद रोहिणी आचार्य जो कि लालू यादव की दुसरी नंबर वाली बेटी हैं उन्होंने अचानक राबड़ी आवास छोड़ दिया। मायका छोड़ने की वजह पूछने पर उन्होंने बताया कि पार्टी इस बार इतना ख़राब प्रदर्शन क्यों की ये पूछे जाने पर उन्हें मारने के लिए चप्पल उठाया गया जिसके बाद उन्होंने राबड़ी आवास छोड़ दिया। विवाद इसके बाद से ही बढ़ता गया. जहां उन्होंने पिता के घर पर बेटियों के सुरक्षित अधिकार को लेकर कई सवाल उठाये।
रोहिणी ने यह बताया कि उनके द्वारा पिता लालू यादव को दिए किडनी को गन्दा बताया गया. जिसके बाद उन्होंने यह भी सवाल उठाये कि बेटा ने उन्हें किडनी क्यों नहीं दी. यही वजह है कि रोहिणी ने अब सरकार को भी आइना दिखाया है कि नीतीश सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए जो लड़कियों को साइकिल और महिलाओं को 10 हजार रुपया दे रहे हैं वो पर्याप्त नहीं है. उन्होंने समाज पितृसत्तात्मक सोच पर प्रहार किया है. जहां ये बार बार याद दिलाया जाता है की बेटियां परायी होती है और शादीशुदा महिलाओं को सिर्फ अपने ससुराल पर ध्यान देना चाहिए उनका मायके में अधिकार सिमित है.

