Delhi AQI impact: इथियोपिया के हेली गुब्बी ज्वालामुखी से उठी राख का विशाल बादल, जो करीब 12,000 साल बाद पहली बार रविवार सुबह विस्फोट के साथ बाहर आया था, यह राख का गुबार पश्चिम राजस्थान की तरफ से लगातार भारत की ओर बढ़ता आ रहा था. सोमवार देर रात यह बादल देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों तक फैल गया. जिसके बाद कई बड़े शहरों में फ्लाइट संचालन प्रभावित होने लगे लेकिन इसमें जो दिलचस्प बात है वो यह है कि राख का गुबार दिल्ली तक तो पहुंचा लेकिन इस गुबारे से दिल्ली की AQI पर इसका कोई असर नहीं पड़ा वो कैसे आइये जानते हैं. उसके बाद हम ये भी जानेंगे की कैसे ये राख करोड़ों लोगों की शामें रंगीन करने वाला है. इसके साथ ही इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें तो आपको जरुर जाननी चाहिए.
दरअसल, रात लगभग 11 बजे यह राख दिल्ली के आसमान तक पहुंच गई और इसके गुबार ने गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा के ऊपर से होते हुए आगे पूर्व की दिशा पकड़ ली. IMD के ताज़ा अपडेट के मुताबिक, यह गुबार अब चीन की ओर बढ़ रहा है और IMD के वैज्ञानिकों के अनुमान से यह गुबारा अब मंगलवार शाम 7:30 बजे (14:00 GMT) तक भारत की सीमा से पूरी तरह बाहर निकल जाएगा और अब यह चीन की परेशानी बढ़ा सकता है.
दिल्ली का AQI खराब क्यों नहीं हुआ?
IMD के डायरेक्टर जनरल एम. महापात्रा ने इसको लेकर साफ कहा कि राख का यह गुबार निचले स्तर पर नहीं है. उनके शब्दों में, “राख बहुत ऊंचाई पर है, इसलिए जमीन के पास मौजूद हवा की क्वालिटी पर इसका सीधा असर देखने को नहीं मिलेगा.” उनके मुताबिक आसमान में हल्की धुंध और बादलों जैसा दृश्य जरूर बनेगा, लेकिन उसका असर कुछ घंटों में आगे बढ़ते हुए खत्म हो जाएगा. महापात्रा ने यह भी बताया कि इस बादल का शहरों पर सबसे बड़ा असर तापमान में हल्की बढ़ोतरी के रूप में दिख सकता है जैसे बादलों की मौजूदगी रात के न्यूनतम तापमान को थोड़ा ऊपर ले जाती है।
ANI से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राख ऊपरी ट्रोपोस्फीयर में मौजूद है और यही वजह है कि फ्लाइट रूट्स प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन मौसम और AQI पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा.
वहीं पर्यावरणविद विमलेंदु झा का कहना है कि ज्वालामुखी की राख से दिल्ली के AQI पर तुरंत कोई बदलाव नहीं दिखेगा, क्योंकि बादल काफी ऊंची परतों में मौजूद है. उन्होंने बताया कि यह गुबार सल्फर डाइऑक्साइड और महीन कांच जैसे कणों से बना होता है, लेकिन जब तक यह जमीन के नजदीक न आए, तब तक खतरा कम ही रहता है.
हालांकि झा ने यह भी याद दिलाया कि दिल्ली के अपने मॉनिटरिंग स्टेशन ही पहले से AQI 400 से ऊपर दिखा रहे हैं, और कुछ क्षेत्रों में यह 450 को पार करके ‘खतरनाक’ श्रेणी में पहुंच चुका है यानी खतरा पहले से मौजूद है, ज्वालामुखी की राख की वजह से नहीं.
मंगलवार को दिल्ली का AQI
रविवार को जब राख दिल्ली के ऊपर से गुजरी, तब भी एयर क्वालिटी ‘बहुत खराब’ श्रेणी के आसपास बनी रही. सुबह 8 बजे दिल्ली का कुल AQI 362 था. दोपहर 2 बजे तक यह 356 के आसपास दर्ज किया गया यानी स्थिति गंभीर है, लेकिन इसमें ज्वालामुखी की राख का योगदान नहीं है.
चीन की मुश्किलें बढ़ने की संभावना है
इथोपिया में निकले ज्वालामुखी की राख से भारत के लिए खतरा टल गया है.. इस राख ने AQI पर कोई असर नहीं डाला है और न ही डालेगी। मौसम विभाग के अनुसार, राख का बादल अब चीन की ओर बढ़ रहा है और ऊपरी वायुमंडल (स्ट्रेटोस्फीयर) में फैल रहा है. आने वाले दिनों में यह बारीक धूल प्रशांत महासागर की ओर बढ़ेगी.
सूर्योदय और सूर्यास्त बहुत रंगीन और शानदार दिखाई देंगे
इंडियामेट्स्की ने बताया कि ऊपरी वायुमंडल में जहाँ भी यह महीन धूल रहेगी, वहाँ सूर्योदय और सूर्यास्त बहुत रंगीन और शानदार दिखाई देंगे. आसमान में लाल, बैंगनी और नारंगी रंग के शेड्स दिखाई देंगे, जैसे दुनिया भर में बड़े ज्वालामुखी विस्फोटों के बाद दिखाई देते हैं. ऐसे में यह करोड़ों लोगो की सुबह और शाम रंगीन कर सकता है.
ज्वालामुखी से उठी राख से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें
1. 12,000 साल बाद ज्वालामुखी फटा और राख सीधे भारत की ओर बढ़ी
2. ज्वालामुखी की राख से सूर्योदय–सूर्यास्त बेहद रंगीन होंगे
3. दिल्ली तक पहुंचने के बावजूद AQI पर कोई असर नहीं पड़ा
4. राख से फ्लाइटें तो प्रभावित हुईं, लेकिन मौसम और हवा पर नहीं
5.राख के कण कांच जैसे होते हैं, इसलिए खतरनाक माने जाते हैं.

