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हाथ में कलावा गले में माला…भगवा वस्त्र पहने स्वामी सारंग ने किया मातम, मोहर्रम में गंगा-जमुनी तहजीब का ये Video देख छाती हो जाएगी चौड़ी

Muharram Viral Video: लखनऊ में मोहर्रम के जुलूस में गंगा-जमुनी तहजीब की झलक देखने को मिली। जहां यौम-ए-आशूरा के मौके पर स्वामी सारंग मातम करते हुए नजर आए।

Published by Sohail Rahman

Muharram Viral Video: लखनऊ में मोहर्रम के जुलूस में गंगा-जमुनी तहजीब की झलक देखने को मिली। यौम-ए-आशूरा के मौके पर पुराने लखनऊ में जुलूस निकाला गया। इस जुलूस में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शामिल हुए। स्वामी सारंग भगवा वस्त्र पहने और माथे पर तिलक लगाए गम में डूबे नजर आए और ‘या अली’ और ‘या हुसैन’ के नारे लगाए। उन्होंने कर्बला के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद भी मौजूद रहे। स्वामी सारंग पिछले 10 सालों से मोहर्रम के जुलूस में हिस्सा लेते आ रहे हैं।

मातम करते नजर आए स्वामी सारंग

मोहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है। इस महीने की 10वीं तारीख मुसलमानों के लिए बेहद खास होती है। इसे आशूरा के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को याद किया जाता है। उन्होंने नौहाखानी और सीनाजनी कर कर्बला के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब देखने को मिली। स्वामी सारंग मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद के साथ नजर आए। स्वामी सारंग भगवा वस्त्र पहने हुए थे। माथे पर तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला थी। उन्होंने खूनी जंग पर मातम कर अपना दुख भी जताया।

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स्वामी सारंग ने क्या कहा?

स्वामी सारंग ने कर्बला के पैगाम को याद किया। उन्होंने बताया कि आशूरा के दिन इराक के कर्बला शहर में हजरत रसूल के नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके बेटे समेत 72 लोग शहीद हुए थे। तब से दुनिया भर के मुसलमान और दूसरे समुदाय के लोग कर्बला में शहीद हुए लोगों की याद में इस महीने में ताजियादारी, लंगर और जुलूस निकालते हैं। स्वामी सारंग ने कहा कि “कर्बला एक वैश्विक पैगाम है। इसका पैगाम इमाम हुसैन ने अपनी शहादत के जरिए दिया है, जिसे पूरी दुनिया अमन के रूप में पसंद करती है।”

स्वामी सारंग ने किया मातम

स्वामी सारंग ने गम में अपनी पीठ पर तलवार और जंजीर बांधी। ये चाकू जंजीरों में बंधे थे, जिनका इस्तेमाल मातम के दौरान किया जाता है। स्वामी सारंग पिछले 10 सालों से शांति का संदेश देने के लिए मोहर्रम के जुलूस में हिस्सा ले रहे हैं। वह प्रयागराज के रहने वाले हैं और उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। स्वामी सारंग एक आध्यात्मिक गुरु हैं। उन्होंने इमाम हुसैन का भी अध्ययन किया है। इससे पता चलता है कि कैसे विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ शांति और सद्भाव से रह सकते हैं। स्वामी सारंग का योगदान सराहनीय है। वह एक प्रेरणा हैं जो हमें सिखाते हैं कि मानवता सबसे बड़ा धर्म है।

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