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दीपों का पर्व दिवाली जहां बाहरी जगत को रोशनी से भर देता है, वहीं प्रेमानंद महाराज जी(Premanand Maharaj Ji) ने इस अवसर पर आत्मिक प्रकाश की महत्ता पर ज़ोर दिया है, उन्होंने अपने दिवाली(Diwali) उपदेश में कहा कि केवल घर सजाना और दिए जलाना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि मन को भी रौशन करना ज़रूरी है नकारात्मक विचारों, ईर्ष्या, द्वेष और क्रोध जैसे अंधकार को मिटाकर प्रेम, करुणा और सत्य के दीप जलाने चाहिए बल्कि आत्मा को भी शुद्ध करते हैं। उनका संदेश है – सच्ची दिवाली वही है जो भीतर के अंधकार को दूर करे और आत्मा में शांति व प्रकाश भर दे.

