Navratri 2025 Kanyabhoj : मां भगवती की उपासना के दिनों में कन्या पूजन सभी के घरों में होता है. देवी स्वरूप कन्याओं को बुलाकर उनका अतिथि करना और मनपसंद भोजन कराना एवं उनके चरणों को धोकर दान दक्षिणा देने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि कन्याओं को देवी स्वरूप मानते हुए उनको प्रसन्न करने से उनको तृप्त करने से माँ भगवती को प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा से मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शक्तियों में वृद्धि होती है. यह पूजा जीवन में आई बाधाओं को दूर करने, मानसिक तनाव को कम करने और समृद्धि प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है.
कन्या पूजन से संकट होते हैं खत्म
जब कन्याएं प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं शुभकामनाएं देती हैं, तो जीवन में जो कठिनाइयां जो संकट चल रहे हैं वह खत्म होने लगते हैं. जिन लोगों के जीवन में संकट या तनाव है उनको नवरात्रि में कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए. कन्या पूजन में कितनी कन्याओं की पूजा करनी चाहिए, इसका कोई निश्चित नियम नहीं है,संभव हो तो 9 कन्याओं को चुनें, क्योंकि वे देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक हैं. अगर किसी के पास 9 कन्याओं को बुलाने की व्यवस्था नहीं हो पाती, तो वे अपनी क्षमता के अनुसार कम कन्याओं का भी पूजन कर सकते हैं. श्रद्धा और समर्पण के साथ किया गया कन्या पूजन हर स्थिति में फलदायक होता है.
कैसे करें कन्या पूजन?
कन्याओं का निमंत्रण:
परंपरागत रूप से 2 से 10 वर्ष की कन्याओं का पूजन किया जाता है, इसलिए कन्या भोज के लिए 2-10 वर्ष की कन्याओं को ही निमंत्रण देना चाहिए.
कन्याओं का स्वागत:
कन्याओं का स्वागत मां भगवती के रूप में करें. उन्हें शुद्ध आसन पर बैठाएं और उनके चरण हल्दी मिश्रित जल से धोएं.
पूजन सामग्री:
रोली, अक्षत, मौली और फूलों से कन्याओं का पूजन करें.
भोजन और भेंट:
कन्याओं को सात्विक भोजन कराएं. अपनी क्षमता अनुसार वस्त्र, उपहार, दक्षिणा भेंट करें.
आशीर्वाद प्राप्त करें:
पूजा उपरांत कन्याओं के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें. माना जाता है कि यह आशीर्वाद मां भगवती का आशीर्वाद होता है, जो सुख-शांति और समृद्धि देता है.

