छठ पूजा का दूसरा दिन “खरना (Kharna)” या “लोहंडा” के नाम से जाना जाता है. यह दिन पूरे छठ पर्व का सबसे महत्वपूर्ण चरण माना जाता है क्योंकि इसी दिन से व्रती निर्जला उपवास की शुरुआत करते हैं.खरना का अर्थ होता है — शुद्धि और आत्मसंयम का अभ्यास.इस दिन व्रती पूरे दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किए उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद प्रसाद ग्रहण करके अगले 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत आरंभ करते हैं.खरना के दिन गुड़ की खीर और रोटी बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है, जिसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण जुड़े हैं.
खरना पर गुड़ की खीर और रोटी क्यों बनाई जाती है?
- खरना के दिन शाम को व्रती स्नान करके पूरी पवित्रता के साथ पूजा करते हैं. इसके बाद गुड़ की खीर, गेहूं की रोटी और केला का प्रसाद बनाते हैं.
- गुड़ की खीर को सात्विक और पवित्र भोजन माना जाता है.गुड़ पाचन में सहायक होता है और शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है.व्रती दिनभर के उपवास के बाद इसका सेवन करते हैं, जिससे थकान दूर होती है और शरीर अगले दिन के निर्जला व्रत के लिए तैयार होता है.
- रोटी प्रतीक है श्रम और समर्पण का. इसे घी से चुपड़कर परोसा जाता है, जो शरीर को पौष्टिकता देता है.
- यह प्रसाद घर में मिट्टी के चूल्हे पर बनता है, जिससे वातावरण में पवित्रता और प्राकृतिक सुगंध फैलती है.
Chhath Puja 2025: जानें 4 दिन की संपूर्ण विधि – नहाय खाय, खरना और अर्घ्य तक हर स्टेप विस्तार से
खरना की पूजा विधि और महत्व
शाम के समय व्रती नदी या तालाब के जल से स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं. फिर वे घर में या घाट पर एक स्वच्छ स्थान पर बैठकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं.पूजा के बाद गुड़ की खीर, रोटी और केला का प्रसाद अर्पित किया जाता है.प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती अगले दिन के लिए 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ करते हैं.
खरना का यह प्रसाद परिवार और पड़ोस के लोगों में भी बांटा जाता है, जिसे पवित्र प्रसाद माना जाता है. मान्यता है कि इस प्रसाद के सेवन से तन और मन दोनों की शुद्धि होती है.
खरना छठ पूजा का आत्मिक और शारीरिक शुद्धि का पर्व है.गुड़ की खीर और रोटी केवल प्रसाद नहीं, बल्कि यह ऊर्जा, पवित्रता और समर्पण का प्रतीक है. इस दिन व्रती अपने भीतर की नकारात्मकता को त्यागकर सत्य, संयम और श्रद्धा के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं. खरना के बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है, क्योंकि यही दिन व्रत की शुरुआत और आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है.
Chhath Puja 2025: पीरियड के दौरान छठ पूजा कैसे करें और क्या ध्यान रखें?
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. इनखबर इस बात की पुष्टि नहीं करता है)

