Chhath Puja 2025: छठ महापर्व हर साल बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड समेत कई राज्यों में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. इस साल यह पर्व 25 अक्टूबर से शुरू होकर 28 अक्टूबर तक चलेगा. छठ पूजा सूर्य देव की पूजा का एक विशेष अवसर है, जिसके दौरान भक्त अपने घरों और आस-पास के तालाबों या नदियों में सूर्य को अर्घ्य देते हैं. ऐसा माना जाता है कि सूर्य देव का आशीर्वाद परिवार में सुख, शांति और समृद्धि लाता है.हालांकि, इस पवित्र व्रत को रखने से जुड़े कई नियम और परंपराएँ हैं, जिनका पालन करना बेहद ज़रूरी है. इन नियमों का उल्लंघन करने से व्रत अधूरा रह सकता है और छठी मैया नाराज हो सकती हैं. आइए जानें छठ पूजा के दौरान किन खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.
मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाएं
छठ पूजा का प्रसाद विशेष होता है और मिट्टी के चूल्हे पर खाना पकाना जरूरी है. ऐसा माना जाता है कि इससे प्रसाद की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. इसके अलावा, प्रसाद बनाते और बांटते समय साफ-सफाई का ध्यान रखें.
व्रती को उचित स्थान पर सोना चाहिए
छठ व्रत के दौरान, व्रती, खासकर महिलाएं, बिस्तर पर नहीं सोतीं. उन्हें जमीन पर बिछी चादर पर सोना चाहिए. यह सादगी और त्याग का प्रतीक है, जिससे व्रत की पवित्रता बढ़ती है. इससे तन और मन दोनों व्रत पर केंद्रित रहते हैं.
बिना हाथ धोए पूजा की वस्तुओं को न छुएं
स्वच्छता और पवित्रता अत्यंत महत्वपूर्ण है. पूजा के दौरान बिना हाथ धोए किसी भी सामग्री को छूना वर्जित है. इससे पूजा की पवित्रता भंग होती है. साथ ही, बच्चों को छठ पूजा का प्रसाद तब तक न खाने दें जब तक कि त्योहार समाप्त न हो जाए.
अपनी वाणी और व्यवहार में शालीनता बनाए रखें
व्रत के दौरान अपशब्दों या अभद्र भाषा के प्रयोग से बचें. छठ पूजा शुद्धि और सकारात्मकता का समय है. इसलिए, व्यवहार में संयम और शांति बनाए रखना आवश्यक है. इससे न केवल आपकी आध्यात्मिकता बढ़ती है, बल्कि परिवार में सामंजस्य भी बना रहता है.
सूर्य को सही बर्तन से अर्घ्य दें
छठ पूजा के दौरान सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पात्र या बर्तन चांदी, स्टेनलेस स्टील, कांच या प्लास्टिक का नहीं होना चाहिए. आमतौर पर मिट्टी या तांबे के बर्तन शुभ माने जाते हैं. धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यह परंपरा अत्यंत महत्वपूर्ण है. सही पात्र से अर्घ्य देने से पूजा की पवित्रता बनी रहती है.
अर्घ्य देने के बाद ही जल और भोजन ग्रहण करें
छठ पूजा के दौरान सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि सूर्य को अर्घ्य दिए बिना जल या भोजन ग्रहण न करें. यह व्रत का अंतिम और सबसे पवित्र अनुष्ठान है. अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है और छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
इन बातों का ध्यान रखें:
- शुद्ध मन और शांत विचारों के साथ व्रत रखें.
- सूर्य देव के लिए एक स्वच्छ स्थान तैयार करें.
- परिवार के सभी सदस्यों को पूजा में एक साथ भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें.
- छठ पूजा के दौरान मोबाइल फ़ोन और अनावश्यक ध्यान भटकाने वाली चीज़ों से बचें; अपना पूरा ध्यान भगवान की भक्ति पर केंद्रित करें.

