Winter Asthma Problem: सर्दियों में सांस की दिक्कत क्यों बढ़ती है, क्या है इसकी वजह?
Winter Asthma Problem: सर्दियों के आते ही ठंडी और सूखी हवा कई लोगों के लिए बड़ी चुनौती बन जाती है. खासकर अस्थमा और सीओपीडी मरीजों में सांस फूलना, खांसी बढ़ना और अचानक फ्लेयर-अप जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ती हैं. तापमान गिरते ही फेफड़ों की नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं और मामूली ट्रिगर भी गंभीर खतरा बन सकता है.
सर्दियों में सांस की दिक्कत क्यों बढ़ती है
सर्द हवा की चुभन कई बार अस्थमा और सीओपीडी मरीजों के लिए अचानक सांस रुकने, खांसी बढ़ने और सीटी जैसी आवाज आने का कारण बन जाती है.
ठंड से फेफड़ों की नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं
डॉक्टरों के अनुसार तापमान गिरते ही एयरवे संकुचित होने लगते हैं, जिससे मामूली ट्रिगर भी गंभीर समस्या पैदा कर सकता है.
सीओपीडी मरीजों में सर्दियों में फ्लेयर-अप दोगुना
ब्रिटेन के 2014 के अध्ययन में पाया गया कि दिसंबर से फरवरी के बीच सीओपीडी के बिगड़ने की दर दोगुनी हो जाती है.
ठंड बढ़ते ही अस्पतालों में भीड़
2011 के यूरोपियन रेस्पिरेटरी जर्नल के अध्ययन में पुष्टि हुई कि ठंड बढ़ने से सीओपीडी मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत बढ़ जाती है.
ठंडी और सूखी हवा सबसे बड़ा कारण
ठंडी हवा फेफड़ों की नलिकाओं को तुरंत संकुचित कर देती है, जिससे घबराहट, तेज सांस चलना और घरघराहट बढ़ जाती है. अस्थमा मरीजों में यह प्रभाव और तेज होता है.
ठंड + प्रदूषण = डबल खतरा
पोलैंड के 2025 के अध्ययन में पता चला कि ठंड के साथ जब पीएम 2.5 और पीएम 10 बढ़ते हैं, तो अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों में अस्पताल में भर्ती होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
घर के अंदर की हवा भी उतनी ही हानिकारक
सर्दियों में बंद कमरे, कम वेंटिलेशन, हीटर और गैस-स्टोव से घर के अंदर की हवा अधिक दूषित हो जाती है, जो मरीजों की हालत बिगाड़ सकती है.
तापमान हर 1° गिरा-खतरा 1% बढ़ा
2021 के एटमॉस्फियर जर्नल के शोध में पाया गया कि तापमान में हर 1°C गिरावट पर सीओपीडी की गंभीरता लगभग 1% बढ़ जाती है.
वायरल संक्रमण सर्दियों का सबसे बड़ा जोखिम
फ्लू और सर्दी के वायरस इस मौसम में ज्यादा फैलते हैं; ये पहले से कमजोर फेफड़ों में सूजन बढ़ाकर सांस की गंभीर समस्या पैदा कर सकते हैं. इसलिए डॉक्टर वैक्सीन, मास्क और भीड़ से दूरी की सलाह देते हैं।.