10 Unbreakable Cricket Records: क्रिकेट जगत के ये 10 रिकॉर्ड्स जिन्हें तोड़ पाना लगभग नामुमकिन है; क्या आपके पसंदीदा खिलाड़ी में है इन्हें चुनौती देने का दम?
क्रिकेट एक ऐसा खेल है जहाँ हर पल आँकड़े बनते और बिगड़ते है. हर युग में कुछ ऐसे खिलाड़ी आते हैं जो अपनी प्रतिभा से नए कीर्तिमान स्थापित करते हैं. इनमें से कई रिकॉर्ड समय के साथ टूट जाते हैं, लेकिन क्रिकेट के इतिहास में कुछ ऐसी उपलब्धियाँ भी दर्ज हैं जो अपनी ‘क्लास’ और ‘स्किल’ के कारण शायद हमेशा के लिए अमर रहेंगी.
आइए नज़र डालते हैं क्रिकेट जगत के उन 10 अटूट रिकॉर्ड्स पर, जिन्हें रिकॉर्ड बुक्स से मिटाना लगभग असंभव है:
1. सचिन तेंदुलकर – 100 अंतरराष्ट्रीय शतक
'क्रिकेट के भगवान' कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर के नाम दर्ज 100 अंतरराष्ट्रीय शतकों का रिकॉर्ड एक ऐसा शिखर है, जहाँ पहुँचना किसी भी खिलाड़ी के लिए एक सपना है. आज के दौर में जहाँ 50 शतक बनाना भी महानता की निशानी है, वहाँ 100 का आंकड़ा पार करना अविश्वसनीय है. सचिन न केवल सबसे ज़्यादा शतकों बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज़्यादा रनों के मालिक भी हैं.
2. मुथैया मुरलीधरन – 1347 अंतरराष्ट्रीय विकेट
श्रीलंका के इस स्पिन जादूगर ने अपने करियर का अंत 1347 अंतरराष्ट्रीय विकेटों के साथ किया. मुरलीधरन की सटीकता और टर्निंग पिचों पर घंटों गेंदबाजी करने की क्षमता बेजोड़ थी. वर्तमान समय में वर्कलोड मैनेजमेंट और टी-20 के बढ़ते चलन के कारण किसी भी गेंदबाज के लिए इस जादुई आंकड़े तक पहुँचना नामुमकिन नजर आता है.
3. ब्रायन लारा – टेस्ट की एक पारी में 400* रन
साल 2004 में वेस्टइंडीज के दिग्गज ब्रायन लारा ने इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद 400 रनों की पारी खेलकर इतिहास रच दिया था. आज के दौर में टेस्ट क्रिकेट काफी आक्रामक हो गया है और टीमें नतीजों के लिए पारियां जल्दी घोषित कर देती हैं, ऐसे में लारा के इस व्यक्तिगत सर्वोच्च स्कोर का रिकॉर्ड सुरक्षित लगता है.
4. जिम लेकर – एक टेस्ट मैच में 19 विकेट
1956 में इंग्लैंड के जिम लेकर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ओल्ड ट्रैफर्ड में वह कारनामा किया जो फिर कभी नहीं देखा गया. उन्होंने मैच की पहली पारी में 9 और दूसरी पारी में सभी 10 विकेट झटककर कुल 20 में से 19 विकेट अपने नाम किए. आज के दौर में जहाँ विकेट गेंदबाजों के बीच बँट जाते हैं, वहां इस रिकॉर्ड की बराबरी करना भी असंभव है.
5. रोहित शर्मा – वनडे मैच में 264 रन
'हिटमैन' रोहित शर्मा ने 2014 में श्रीलंका के खिलाफ 264 रनों की ऐतिहासिक पारी खेली थी. वनडे क्रिकेट में जहाँ पूरी टीम मिलकर कई बार 250 रन नहीं बना पाती, वहां अकेले एक बल्लेबाज का इतना स्कोर बनाना हैरतअंगेज है.. रोहित के नाम वनडे में तीन दोहरे शतक हैं, जो उनकी इस फॉर्मेट में बादशाहत को दर्शाता है.
6. सर डॉन ब्रैडमैन – 99.94 का टेस्ट औसत
क्रिकेट जगत का सबसे प्रसिद्ध और अटूट नंबर है '99.94'. ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन ने अपने पूरे करियर में इस औसत से रन बनाए. आज के दौर के दिग्गज खिलाड़ी जैसे विराट कोहली या स्टीव स्मिथ भी 50-60 के औसत के आसपास रहते हैं. ब्रैडमैन का यह रिकॉर्ड क्रिकेट की किताब का सबसे स्थायी पन्ना है.
7. एम.एस. धोनी – वनडे में सबसे ज्यादा बार 'नॉट आउट' (84)
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर माने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी अपने वनडे करियर में 84 बार नाबाद पवेलियन लौटे। मैच को आखिरी ओवर तक ले जाना और उसे खत्म करके ही आना धोनी की विशेषता थी. आज के जोखिम भरे बल्लेबाजी स्टाइल में इस धैर्य और निरंतरता की बराबरी करना किसी भी खिलाड़ी के लिए बड़ी चुनौती होगी.
8. विल्फ्रेड रोड्स – 4,204 प्रथम श्रेणी (First-Class) विके
इंग्लैंड के विल्फ्रेड रोड्स ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 4,204 विकेट लिए और 1,100 से अधिक मैच खेले. यह उस युग की बात है जब क्रिकेट का स्वरूप बहुत अलग था और खिलाड़ी साल भर केवल लंबे फॉर्मेट के मैच खेलते थे. आज के व्यस्त शेड्यूल और टी-20 युग में कोई भी गेंदबाज इस संख्या के करीब भी नहीं पहुँच सकता.
9. लॉकी फर्ग्यूसन – टी-20 अंतरराष्ट्रीय में 4 मेडन ओवर
17 जून 2024 को टी-20 वर्ल्ड कप में पी.एन.जी. के खिलाफ न्यूजीलैंड के लॉकी फर्ग्यूसन ने अपने कोटे के सभी 4 ओवर मेडन फेंके और 3 विकेट लिए. टी-20 जैसे विस्फोटक फॉर्मेट में जहाँ बल्लेबाज हर गेंद पर प्रहार करते हैं, वहां एक भी रन न देना किसी चमत्कार से कम नहीं है. यह रिकॉर्ड भविष्य में शायद ही कभी टूटे.
10. राहुल द्रविड़ – टेस्ट में सबसे ज्यादा कैच (210)
'द वॉल' के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ ने एक गैर-विकेटकीपर के तौर पर टेस्ट क्रिकेट में रिकॉर्ड 210 कैच लपके. इसके अलावा उनके नाम टेस्ट में सबसे ज्यादा समय तक बल्लेबाजी करने (44,152 मिनट) और सबसे ज्यादा गेंदों का सामना करने का रिकॉर्ड भी है.. उनकी एकाग्रता और स्लिप में उनकी मुस्तैदी को पीछे छोड़ना किसी भी फील्डर के लिए बहुत मुश्किल है.