मुगल दरबार की सबसे रहस्यमयी कहानी: पिता ने बेटी को किया बंद
मुगल इतिहास की घटनाएँ अक्सर शक्ति, राजनीति और पारिवारिक रिश्तों के बीच जटिल टकराव से भरी होती हैं. उन कहानियों में से एक है जेब-उन-निसा की, औरंगजेब की पहली बड़ी बेटी, जिन्हें इतिहास में एक प्रतिभाशाली कवयित्री और विदुषी के रूप में याद किया जाता है. हम जानते हैं उन मुख्य कारणों और घटनाओं को, जिनकी वजह से जेब-उन-निसा को सलीमगढ़ किले में करीब 20 साल कैद में रहना पड़ा
मुगल इतिहास की घटनाएँ
मुगल इतिहास की घटनाएँ अक्सर शक्ति, राजनीति और पारिवारिक रिश्तों के बीच जटिल टकराव से भरी होती हैं. उन कहानियों में से एक है जेब-उन-निसा की, औरंगजेब की पहली बड़ी बेटी, जिन्हें इतिहास में एक प्रतिभाशाली कवयित्री और विदुषी के रूप में याद किया जाता है.
जेब-उन-निसा का बचपन और विद्या में रुचि
ज़ेब-उन-निसा का जन्म 15 फरवरी 1638 को हुआ था. बचपन से ही उन्होंने अरबी, फारसी और उर्दू साहित्य में गहरी रुचि दिखाई. उन्होंने सात साल की उम्र में कुरान याद कर ली थी.
संगति और विवादास्पद प्रेम संबंधों की अफवाहें
इतिहास के स्रोतों में लिखा है कि जेब-उन-निसा प्रेम और राजनीतिक लगावों की वजह से अपने पिता की नजर में आई थीं. ये बातें जहांगीर की तुलना में उनकी सहजता और खुलेपन को दिखाती हैं, लेकिन औरंगज़ेब इस तरह की दोस्ती या प्रेम व्यवहारों को धार्मिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से स्वीकार नहीं करते थे.
पिता और बेटी के दृष्टिकोण में असंतुलन
औरंगज़ेब की धार्मिक कट्टरता और शासन की कठोर नीतियों ने ज़ेब-उन-निसा की व्यक्तित्व और कलात्मक अभिव्यक्ति से दूरी बना ली. जब उन्होंने पत्राचार, संगीत और कविताएँ लिखना जारी रखा जो स्वतंत्र सोच की निशानी थीं .
कैद की शुरुआत और स्थान
जेब-उन-निसा को दिल्ली के सलीमगढ़ किले में बंद किया गया. यह किला उसी नगर के पुराने हिस्से में स्थित था, जहाँ मुगल सरकार की निगरानी और नियंत्रण अधिक कठोर थे.
जेब-उन-निसा की कविता
कैद के बावजूद जेब-उन-निसा ने हार नहीं मानी. उन्होंने “दीवान-ए-मखफी” नाम से कविताएँ लिखीं, जो उनकी सूक्ष्म भावना और गहरी सोच को दर्शाती हैं.
लगभग दो दशकों की बंदी और मृत्यु
जेब-उन-निसा करीब 20 वर्ष तक कैद में रहीं. इतिहासकारों के अनुसार उन्होंने 1702 में सलीमगढ़ में रहते हुए अपनी जिदगी पूरी की. कैद की अवधि में उनके जीवन की अनेक कठिनाइयाँ थीं.
जेब-उन-निसा की विरासत और इतिहास में स्थान
आज जेब-उन-निसा को एक प्रतिभाशाली कवयित्री, विदुषी और विचारों की आज़ादी की प्रतीक के रूप में देखा जाता है. अक्सर उन्हें चौधरियों और अन्य शहजादियों की तुलना में कम चर्चा मिलती है.
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