गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान दिवस, यहां पढ़ें उनके उपदेश
Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas: सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान दिवस हर साल 24 नवंबर को मनाया जाता है. उन्होंने साल 1675 में दिल्ली में मुगल शासक औरंगजेब के धार्मिक उत्पीड़न का विरोध करते हुए कश्मीरी पंडितों की आस्था की रक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी थी. उनका यह बलिदान सत्य और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए उनके सर्वोच्च त्याग और आदर्शों का प्रतीक है. इस दिन गुरुद्वारों में विशेष सभाएं और लंगर आयोजित किए जाते हैं, जिसमें उनके प्रेरणादायक उपदेशों का स्मरण भी किया जाता है.
शहीदी दिवस की तिथि
हर साल 24 नवंबर को गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान दिवस (Shaheedi Diwas) के रूप में मनाया जाता है.
ऐतिहासिक शहादत
उन्होंने साल 1675 में दिल्ली में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए अपनी शहादत दी थी.
बलिदान का कारण
उन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा कश्मीरी पंडितों पर किए जा रहे धार्मिक अत्याचारों का जमकर विरोध भी किया था.
नौवें गुरु थे गुरु तेग बहादुर जी
वह सिख धर्म के नौवें गुरु थे, जिन्हें 'हिंद की चादर' (The Shield of India) भी कहा जाता है.
कहां-कहां होगा कार्यक्रम का आयोजन?
दिल्ली के गुरुद्वारा शीश गंज साहिब (शहादत स्थल) पर विशेष श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
समान जीवन का उपदेश
साथ ही उन्होंने सिखाया कि सुख और दुख, मान और अपमान, सभी परिस्थितियों में व्यक्ति को एक समान (शांत) रहना चाहिए.
ईश्वर की खोज
उनके अनुसार, ईश्वर को कहीं और नहीं, बल्कि अपने दिल के अंदर ढूंढना चाहिए, क्योंकि वह हर इंसान में मौजूद है.
घमंड पर नियंत्रण
इसके साथ ही उन्होंने उपदेश दिया कि जो व्यक्ति अपने घमंड को वश में कर लेता है, वही जीवन में कुछ भी हासिल कर सकता है.
दया और समाज सेवा
इसके अलावा उन्होंने हर प्राणी के प्रति दया का भाव रखने और समाज की सेवा करने को धर्म को सच्चा बताया है.
साहस और आशावाद
साथ ही उनका मानना था कि हार और जीत व्यक्ति की सोच पर निर्भर करती है, इसलिए हमेशा आशावादी रहें और अपने आपको किसी से कमजोर न समझें.