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Chhath Puja 2025: छठ व्रत किन लोगों को नहीं रखना चाहिए? जानें इसे रखने से पहले नियम

Chhath Puja 2025: छठ महापर्व की शुरूआत 25 अक्टूबर से हो रही है और इसका समापन 28 अक्टूबर को होगा. ये आस्था का महापर्व बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से मनाया जाता है. छठ पर्व पर सूर्य देव को पानी में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले छठ व्रत सबसे कठिन और अनुशासनपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है. क्योंकि 36 घंटे तक ये निर्जला व्रत रखा जाता है. व्रती कम तर पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इस बीच काफी लोगों के मन में सवाल आता है कि कौन-से लोग ये व्रत रख सकते हैं और कौन नहीं?


By: Shivi Bajpai | Published: October 24, 2025 3:01:54 PM IST

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कुंवारी कन्या कर सकती हैं ये व्रत या नहीं

कुंवारी कन्या कर सकती हैं ये व्रत या नहीं

छठ में भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. ऐसे में कुंवारी कन्याओं के लिए ये व्रत वर्जित होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य की आराधना केवल विवाहित महिलाओं को ही करनी चाहिए.

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कुंवारी कन्याओं को क्यों नहीं करना चाहिए छठ

कुंवारी कन्याओं को क्यों नहीं करना चाहिए छठ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता कुंती ने कुंवारी अवस्था में सूर्य भगवान की उपासना की थी और फिर वह मां बन गई थीं.

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मासिक धर्म में रख सकते हैं छठ का व्रत

मासिक धर्म में हो तो न करें ये व्रत

छठ व्रत में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. मान्यता है कि मासिक धर्म वाली महिलाओं को ये व्रत नहीं करना चाहिए. इससे शरीर में और कमजोरी आ सकती है.

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प्रेंगनेंट महिलाएं रह सकती हैं व्रत

गर्भवती महिलाएं कर सकती हैं ये व्रत या नहीं?

गर्भवती महिलाओं को छठ का व्रत न करने की सलाह दी जाती है. इस व्रत के दौरान 36 घंटे तक बिना पानी और अन्न के बिना रहा जाता है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं के लिए ये व्रत करना कठिन हो सकता है.

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पुरुष रख सकते हैं छठ का व्रत

क्या पुरुष कर सकते हैं छठ का व्रत?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य उपासना की शुरुआत कर्ण से मानी गई है. कर्ण ने सूर्य देवता का व्रत सबसे पहली बार किया था फिर वह रोजाना घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य देव की उपासना किया करते थे और उन्हें अर्घ्य देते थे. ये उन्हें बल और वैभव प्रदान करता है.