Bihar Chunav 2025: 74 की उम्र में भी जोश बरकरार,कभी चुनाव न हारने वाले नरेंद्र नारायण यादव एक बार फिर ठोकेंगे ताल
Bihar Chunav 2025: नरेंद्र नारायण यादव बिहार की राजनीति के ऐसे दिग्गज नेता हैं, जिन्होंने अपने चार दशक लंबे राजनीतिक करियर में कभी चुनावी हार नहीं देखी। 16 जनवरी 1951 को मधेपुरा जिले के बालाटोल गाँव में जन्मे यादव छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे और जयप्रकाश आंदोलन से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। 1978 से 1995 तक लगातार प्रखंड प्रमुख रहने के बाद वे 1995 में पहली बार आलमनगर विधानसभा से विधायक बने और तब से अब तक सात बार लगातार जीत हासिल कर चुके हैं। नीतीश कुमार के भरोसेमंद नेताओं में शामिल यादव कई बार मंत्री पद भी संभाल चुके हैं।आइए जानतें हैं, इनके बारे में..
छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय
नरेंद्र नारायण यादव का जन्म 16 जनवरी 1951 को मधेपुरा जिले के छोटे से गाँव बालाटोल में हुआ था। साधारण परिवार में जन्म लेने वाले यादव बचपन से ही तेज-तर्रार और पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में भी रुचि रखने वाले माने जाते थे। 1967-68 के दौरान जब पूरे बिहार में जयप्रकाश नारायण आंदोलन की लहर चली, तब महज किशोर उम्र में ही उन्होंने राजनीति में सक्रिय भागीदारी दी। यही आंदोलन उनके लिए राजनीतिक जीवन की नींव साबित हुआ।
शिक्षा और शुरुआती करियर
पढ़ाई में हमेशा से अच्छे रहे नरेंद्र नारायण यादव ने उच्च शिक्षा के लिए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा का रुख किया। यहां से उन्होंने 1974 में विज्ञान संकाय से स्नातक (B.Sc) की डिग्री हासिल की। उस दौर में विज्ञान से स्नातक होना ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले छात्र के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद भी उन्होंने राजनीति को ही जीवन का ध्येय बनाया। 1978 में वे पहली बार प्रखंड प्रमुख चुने गए और लगातार 1995 तक इस पद पर बने रहे।
पहली बार बने विधायक
साल 1995 का विधानसभा चुनाव नरेंद्र नारायण यादव के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ। पहली बार उन्होंने आलमनगर विधानसभा सीट से जनता दल (यूनाइटेड) के टिकट पर चुनाव लड़ा और भारी बहुमत से विजयी होकर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद तो जैसे उनकी जीत का सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं लिया। वे लगातार 7 बार इस सीट से विधायक बने और आज तक कभी हार का सामना नहीं किया।
नीतीश कुमार के करीबी और मंत्री पद की जिम्मेदारी
नरेंद्र नारायण यादव को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भरोसेमंद साथी माना जाता है। 2005 में पहली बार उन्हें नीतीश सरकार में मंत्री बनने का अवसर मिला और ग्रामीण कार्य मंत्रालय की कमान सौंपी गई। इसके बाद वे लगातार कई अहम मंत्रालय संभालते रहे। 2010 से 2014 तक उन्होंने राजस्व और भूमि सुधार विभाग तथा विधि विभाग का कार्यभार संभाला। 2019 में उन्हें कानून और लघु जल संसाधन मंत्री बनाया गया।
जाति समीकरण से परे
बिहार की राजनीति में अक्सर जातीय समीकरण ही चुनावी जीत-हार का आधार बनते हैं। आलमनगर विधानसभा क्षेत्र को भी मल्लाह, यादव और मुस्लिम मतदाताओं का गढ़ माना जाता है। लेकिन नरेंद्र नारायण यादव ने अपनी कार्यशैली से इस परंपरा को तोड़ा। उन्होंने न सिर्फ यादव समुदाय बल्कि अन्य जातियों और वर्गों का भी विश्वास जीता। विकास कार्यों और जनसंपर्क के जरिए उन्होंने पूरे इलाके में अपनी अलग पहचान बनाई।
गरीबों के लिए आश्रय स्थल
नरेंद्र नारायण यादव की छवि सिर्फ एक राजनेता की ही नहीं बल्कि जनता के सेवक की भी है। खासकर कोसी क्षेत्र से इलाज करवाने आने वाले गरीब और लाचार मरीजों के लिए उनका पटना स्थित सरकारी आवास किसी आश्रय स्थल से कम नहीं है। बताया जाता है कि यहां रोजाना 40 से 50 लोग ठहरते हैं। खाने-पीने और रहने की पूरी व्यवस्था वे खुद करवाते हैं। अपने सरकारी आवास पर उन्होंने गरीबों के लिए 10 कमरे स्थायी रूप से आरक्षित कर रखे हैं।