बिहार में कब और कितने चरणों में होगा चुनाव? आ गया सबसे ताजा अपडेट
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक पार्टियां निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग कर रही हैं. यह बात विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया के दौरान विवादों के बीच कही जा रही है.चुनाव आयोग की एक टीम बिहार में आई है और कई राजनीतिक नेताओं से मिली है. इस टीम का नेतृत्व मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार कर रहे हैं.
पार्टियों ने निष्पक्ष चुनाव की मांग की
बिहार के नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि उनकी पार्टी ने चुनाव आयोग के सामने अपनी बात रखी है और वे उम्मीद करते हैं कि इस बार बिहार में निष्पक्ष चुनाव होंगे. उन्होंने कहा कि चुनाव किसी की मदद के लिए नहीं होने चाहिए, बल्कि जनता के लिए होने चाहिए क्योंकि लोकतंत्र में जनता ही मालिक होती है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने दिया ये निर्देश
मुख्य चुनाव आयुक्त कुमार ने जिला चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे बिना पक्षपात के काम करें और शिकायतों का समय पर निपटारा करें.
जल्द आ सकती है चुनाव की तारीख
राजनीतिक पार्टियों से बात करने के बाद चुनाव आयोग ने कहा कि उन्हें सुझाव मिला है कि चुनाव छठ त्योहार के बाद होने चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग वोट डाल सकें और चुनाव कम चरणों में संपन्न हो.
एक ही चरण में चुनाव की मांग
सरकार में मौजूद जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने भी चुनाव आयोग से कहा है कि चुनाव एक ही चरण में करवाए जाएं.
संजय कुमार झा ने कही ये बात
JD(U) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार में कानून-व्यवस्था ठीक है और नक्सल समस्या भी नहीं है, इसलिए एक ही चरण में चुनाव क्यों नहीं हो सकते.
एसआईआर प्रक्रिया 'ऐतिहासिक और सफल'
चुनाव आयोग ने कहा कि पार्टियों ने "ऐतिहासिक" विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने और मतदाता सूची को साफ-सुथरा करने के लिए "धन्यवाद" दिया और चुनावी प्रक्रियाओं में अपनी आस्था और विश्वास दोहराया. एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार पार्टियों ने युक्तिकरण के तहत प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या 1500 से घटाकर 1200 करने के कदम की भी सराहना की.
मतदाता सूची का विशेष संशोधन
इस प्रक्रिया के दौरान चुनाव आयोग ने जून में बिहार में मतदाता सूची का विशेष संशोधन शुरू किया था. आयोग ने कहा था कि जिन मतदाताओं के नाम सूची में नहीं हैं, उन्हें 25 जुलाई तक 11 में से किसी एक दस्तावेज को जमा करना होगा. इसमें आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड शामिल नहीं थे.
विरोध और आलोचना
इस फैसले का आलोचना भी हुई. कई सामाजिक संगठनों और नेताओं ने कहा कि आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसे सामान्य दस्तावेजों को बाहर रखने से गरीब और ग्रामीण मतदाताओं को नुकसान होगा.