Hussainiwala: आज, 15 अगस्त 2025 को पूरा देश अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस गर्व और उत्साह के साथ मना रहा है। इस आज़ादी की यात्रा में कई ऐसी कहानियां हैं, जो हमें न केवल इतिहास से जोड़ती हैं बल्कि देशभक्ति की भावना को भी गहरा करती हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है जो आज मैं आपलोगो को बताने जा रही हूँ। जी हाँ वह कहानी है एक गांव के बदले भारत का पाकिस्तान को 12 गांव देने की, यह कहानी है हुसैनीवाला बॉर्डर और उस ऐतिहासिक फैसले की, जब भारत ने सिर्फ एक गांव के बदले पाकिस्तान को 12 गांव सौंप दिए थे। आइये आपको सबसे पहले बताते हैं कि हुसैनीवाला कहाँ है और इतना ख़ास क्यों है कि भारत ने इसके बदले पाकिस्तान को 12 गांव दे दिए।
हुसैनीवाला कहां है और क्यों खास है?
पंजाब के फिरोजपुर से महज़ 11 किलोमीटर दूर स्थित हुसैनीवाला बॉर्डर अपनी वीरता और परंपरा के लिए मशहूर है। हर शाम यहां होने वाली रिट्रीट सेरेमनी देखने लायक होती है। सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान सटीक कदमताल करते हुए राष्ट्रीय ध्वज को सम्मानपूर्वक उतारते हैं। उसी समय पाकिस्तान की ओर से भी रेंजर्स यह प्रक्रिया निभाते हैं। यह सिर्फ एक सैन्य परेड नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच अनुशासन और मर्यादा का प्रतीक है।
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12 गांव देकर भारत ने 1 गांव क्यों लिया?
अब आपको उस ऐतिहासिक कहानी के बारे में बताते हैं। साल 1962 तक हुसैनीवाला पाकिस्तान के नियंत्रण में था। लेकिन यह भूमि इसलिए खास थी क्योंकि यहीं पर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का अंतिम संस्कार हुआ था। भारत ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए पाकिस्तान को 12 गांव देकर बदले में यह एक गांव हासिल किया, ताकि शहीदों की धरती हमेशा भारतीय सीमाओं में रहे।
रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत कैसे हुई?
रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत की बात करें तो 1970 में बीएसएफ के तत्कालीन महानिरीक्षक अश्विनी कुमार शर्मा ने भारत-पाकिस्तान के बीच साझा रिट्रीट सेरेमनी का प्रस्ताव दिया। तब से लेकर आज तक यह परंपरा हर शाम बिना रुके जारी है।
शहीदों की याद में विशेष स्थान
आपको बता दें कि हुसैनीवाला बॉर्डर से शहीद स्मारक महज़ 1 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां आकर हर भारतीय गर्व और भावुकता से भर जाता है। यह भूमि सिर्फ एक भौगोलिक जगह नहीं, बल्कि बलिदान, साहस और देशप्रेम का प्रतीक भी है।
यहाँ शाम का रोमांचक नजारा
सूर्यास्त के समय बॉर्डर पर देशभक्ति के गीत गूंजते हैं, सैनिकों के बूटों की ठक-ठक माहौल रोमांचक बना देती है। तिरंगे के साथ हवा में लहराता गर्व और दर्शकों का जोश – यह अनुभव हर भारतीय के दिल को छू लेता है।
अगर आप भी इस ऐतिहासिक जगह पर जाना चाहते हैं तो
हवाई मार्ग:
अमृतसर एयरपोर्ट से दूरी: लगभग 124 किमी
चंडीगढ़ एयरपोर्ट से दूरी: लगभग 242 किमी
दिल्ली एयरपोर्ट से दूरी: लगभग 428 किमी
रेल मार्ग:
नजदीकी स्टेशन: फिरोजपुर कैंट रेलवे स्टेशन (बॉर्डर से लगभग 13 किमी)
सड़क मार्ग:
फिरोजपुर सिटी बस स्टैंड से 10.5 किमी
कैंट जनरल बस स्टैंड से लगभग 12.4 किमी
कहना गलत नहीं होगा की हुसैनीवाला सिर्फ एक सीमा चौकी नहीं, बल्कि हमारी आज़ादी की अमर गाथा का जीता-जागता प्रतीक है। यहां आकर हर कोई महसूस करता है कि शहीदों की धरती पर खड़े होने का गर्व शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

