Hemant Malviya: प्रधानमंत्री पर अश्लील कार्टून बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले हेमंत मालवीय ने कहा है कि वह अपना विवादित पोस्ट हटा देंगे। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मालवीय की अग्रिम ज़मानत याचिका पर मंगलवार को विचार किया जाएगा। सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने हेमंत के रवैये को अपरिपक्व और भड़काऊ बताया।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने 8 जुलाई को हेमंत की अग्रिम ज़मानत याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को आरएसएस कार्यकर्ताओं, प्रधानमंत्री और अन्य लोगों के अश्लील कार्टून बनाने और भगवान शिव पर टिप्पणी करने के लिए फटकार लगाई थी। जज ने कहा था कि हेमंत ने अभिव्यक्ति की आज़ादी का दुरुपयोग किया है।
यह कोविड वैक्सीन को लेकर व्यंग्य किया
सोमवार, 14 जुलाई को जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कार्टूनिस्ट की याचिका पर सुनवाई की। एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने कहा कि प्रधानमंत्री के बारे में मूल पोस्ट 2021 में की गई थी। यह कोविड वैक्सीन को लेकर एक व्यंग्य था। इस साल मई में एक फेसबुक यूजर ने इसे अश्लील टिप्पणी के साथ रीपोस्ट किया था। हेमंत ने इसे शेयर किया। इसी आधार पर यह एफआईआर दर्ज की गई है।
न्यायाधीशों ने कहा कि कार्टूनिस्टों और हास्य कलाकारों को भी अपने आचरण पर ध्यान देने की ज़रूरत है। इस मामले में याचिकाकर्ता की उम्र 50 साल से ज़्यादा है, लेकिन कोर्ट ने रवैया अपरिपक्व बताया। उनके वकील ने कहा सोशल मीडिया पोस्ट कठोर और अप्रिय थी। कार्टूनिस्ट इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट से हटा देंगे।
अग्रिम जमानत याचिका का विरोध
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने अग्रिम ज़मानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि पोस्ट हटाने से अपराध खत्म नहीं होगा। संक्षिप्त सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे अगले दिन के लिए स्थगित कर दिया।
हेमंत मालवीय के खिलाफ इस साल मई में इंदौर के आरएसएस कार्यकर्ता और वकील विनय जोशी ने लसूड़िया थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में कहा गया था कि हेमंत ने आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करके हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की है।
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