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यूपी की आग से बिहार में धधक, इस गांव में चप्पे-चप्पे पर ब्राह्मणों को लेकर लिखी ये बात, मचा हंगामा

यहां ग्रामीणों ने गांव के प्रवेश द्वार और बिजली के खंभों पर बोर्ड और चेतावनी लिखकर घोषणा की है कि "ब्राह्मणों का पूजा-पाठ करना सख्त मना है, पकड़े जाने पर उन्हें दंडित किया जाएगा।"

Published by Ashish Rai

Motihari News: उत्तर प्रदेश के इटावा में कथावाचक के साथ हुई बदसलूकी की घटना का असर अब बिहार में भी देखने को मिल रहा है। बिहार के मोतिहारी जिले के आदापुर थाना क्षेत्र के टिकुलिया गांव में एक विवादित फैसले ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। यहां ग्रामीणों ने गांव के प्रवेश द्वार और बिजली के खंभों पर बोर्ड और चेतावनी लिखकर घोषणा की है कि “ब्राह्मणों का पूजा-पाठ करना सख्त मना है, पकड़े जाने पर उन्हें दंडित किया जाएगा।” इस विवादित कदम के पीछे ग्रामीणों का अपना तर्क है। ग्रामीणों का कहना है कि वे उन तथाकथित ब्राह्मणों का विरोध कर रहे हैं जिन्हें वेदों का वास्तविक ज्ञान नहीं है और जो पूजा-पाठ की परंपरा के नाम पर मांस-मदिरा का सेवन करते हैं।

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 ग्रामीणों का दावा है कि वे ऐसे कथावाचकों और पुजारियों को स्वीकार नहीं करते जो धर्म और संस्कृति का दुरुपयोग कर रहे हैं। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि वे उन सभी लोगों का स्वागत करते हैं जिन्हें वेदों और शास्त्रों का सही ज्ञान है, चाहे वे किसी भी जाति या वर्ग से हों। उनका यह कदम धर्म के नाम पर फैल रहे पाखंड और व्यवसायीकरण के विरोध में उठाया गया है।

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इटावा की आग बिहार तक फैली

यह पूरा विवाद इटावा में कथावाचक मुकुट मणि सिंह यादव के साथ हुई बदसलूकी के बाद सामने आया। वहां कथित तौर पर उन्हें कथावाचन करने से रोका गया और जाति के आधार पर अपमानित किया गया। जाति पहचान के आधार पर उनका सिर मुंडवा दिया गया, उन्हें बुरी तरह पीटा गया और शुद्धिकरण के नाम पर उन पर महिला का मूत्र छिड़का गया। वीडियो वायरल होने के बाद इस घटना का काफी विरोध हुआ। देशभर में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए। बाद में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। घटना को लेकर हंगामा अभी भी जारी है।

गांव वालों ने ब्राह्मणों पर प्रतिबंध क्यों लगाया

घटना के बाद देशभर में कई जगहों पर बहस शुरू हो गई कि क्या वेदों और शास्त्रों का ज्ञान सिर्फ एक जाति तक ही सीमित होना चाहिए? अब बिहार के टिकुलिया गांव में ब्राह्मणों को पूजा करने से रोकने और चेतावनी जारी करने जैसी घटनाएं सामाजिक समरसता के लिए चिंता का विषय बन रही हैं। यहां के ग्रामीणों ने जातिगत भेदभाव को मिटाने के लिए ऐसा फैसला लिया है ताकि इटावा की तरह किसी के साथ अभद्र व्यवहार न हो।

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Ashish Rai
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