Aashiqui behind the scenes: बॉलीवुड का सुनहरा दौर 90 का दशक… जब कहानियां सच्ची लगती थीं और गाने दिल की धड़कनों से निकलते थे. फिल्म ‘आशिकी’ ने उस दौर को एक नया जादू दिया. नदीम-श्रवण के संगीत और गीतकार समीर अंजान की कलम से निकले गाने आज भी हर आशिक के प्लेलिस्ट में बसे हैं. इन्हीं में से एक गाना ‘तू मेरी ज़िंदगी है’, के पीछे छिपा एक किस्सा आज भी फिल्मी गलियारों में मिसाल बनकर सुनाया जाता है.
कहानी कुछ यूं है कि गीतकार समीर अंजान ने जब इस गाने की लाइन महेश भट्ट को सुनाई, तो निर्देशक की आंखें चमक उठीं. उन्हें एहसास हो गया कि ये शब्द सिर्फ कागज पर नहीं, बल्कि हर धड़कन में जगह बनाने वाले हैं. उसी पल महेश भट्ट इतने खुश हुए कि बिना सोचे-समझे उन्होंने अपनी जेब से पर्स निकाला और समीर को थमा दिया.
इनाम, रकम और एहसास
वो लम्हा किसी इनाम से कम नहीं था. समीर के लिए ये रकम मायने नहीं रखती थी, बल्कि एक बड़े फिल्मकार का ऐसा इजहार-ए-मोहब्बत उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि थी. मानो महेश भट्ट ने कह दिया हो कि “ये लिरिक्स नहीं, ये मेरी फिल्म की आत्मा हैं.”
महेश भट्ट का अनोखा तोहफा
सोचिए, उस समय का नजारा कैसा रहा होगा. एक तरफ संगीतकारों की धुनें गूंज रही थीं, दूसरी तरफ गीतकार की कलम से निकले शब्द कमरे में जादू फैला रहे थे. और फिर, महेश भट्ट का यह अनोखा तोहफा, जिसने साबित कर दिया कि असली कला की पहचान करने वालों के लिए पैसों से बढ़कर भावनाएं होती हैं.
अमर हो गया आशिकी का गाना
आज जब “तू मेरी जिंदगी है” बजता है, तो सिर्फ इश्क नहीं, बल्कि उस किस्से की गर्माहट भी महसूस होती है, जब एक निर्देशक ने खुले दिल से गीतकार को अपना सम्मान सौंप दिया था. यही वजह है कि ‘आशिकी’ आज भी सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि इमोशन्स की दास्तान कहलाती है.

