Delhi-NCR: दिल्ली एनसीआर को जहरीली हवा से बचाने के दावा एक बार फिर फेल साबित हुआ है. दिवाली पर तथाकथित ग्रीन पटाखों के व्यापक इस्तेमाल के कारण मंगलवार को दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जबकि आईक्यूएयर (IQAir) के अनुसार, दुनिया के शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहर है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस दिवाली दिल्ली का वायु प्रदूषण स्तर पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक था.
सुप्रिम कोर्ट के सख्त निर्देश
यह सौभाग्य की बात है कि इस बार हवा बहुत अनुकूल थी. जिससे कोई आपातकालीन स्थिति उत्पन्न नहीं हो पाई है. हवा ने प्रदूषित हवा को एक जगह जमा होने से रोक दिया है. नही तो स्थिति और भी खतरनाक हो सकती थी. सुप्रिम कोर्ट के सख्त निर्देश के बावजुद इस दिवाली दिल्ली एनसीआर में पिछले सालो की तुलना में प्रदूषण का स्तर ज्यादा हो रहा है. केंद्र और राज्य सरकार ने भी ग्रीन पटाखों के माध्यम से इस प्रदूषण को कम करने के बड़े-बड़े दावे किए थे.
हकीकत ये थी कि ग्रीन पटाखा की आड़ में बेचे गए पटाखों से भी काफी प्रदूषण हुआ. नकली पटाखों की रोकथाम और वायु प्रदूषण बढ़ने पर कार्रवाई करने ऐ और अलग-अलग जगह पर पानी छिड़कने का दावा भी धीरे-धीरे रह गया है. यह स्थिति तब है जब दिल्ली समेत देश के 134 बड़े शहरों में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत करोड़ों रुपये की लागत से वायु प्रदूषण नियंत्रण योजनाएं चल रही हैं. मार्च 2026 तक इन सभी शहरों में पीएम-10 के स्तर को 40 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य है.
किस शहर में वायु गुणवत्ता खराब रही?
सीपीसीबी की वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के अनुसार, जिन 264 शहरों की वह निगरानी करता है. उनमें से लगभग 200 शहरों में दिवाली के दौरान वायु गुणवत्ता बहुत खराब या उससे भी खराब श्रेणी में थी.
इनमें नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ, बल्लभगढ़, बहादुरगढ़, मेरठ आदि प्रमुख शहर शामिल है. वायु प्रदूषण पर कड़ी नजर रखने वाली एजेंसियों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में बढ़े प्रदूषण स्तर में पटाखाा के धुएं का कितना योगदान है. यह निर्धारित करना मुश्किल है. क्योंकि इस मुद्दे पर कोई अध्ययन नहीं किया गया है।. ज़्यादा संभावना यह है कि पटाखा के साथ-साथ पराली और कचरा जलाने से भी इसमें योगदान मिलता है.
आईक्यू एयर के अनुसार, शहर के 6 सबसे प्रदूषित शहर
दिल्ली (समग्र) 274
आनंद विहार 426
अक्षरधाम 426
गाजियाबाद (लोनी) 341
नोएडा (सेक्टर 125) 342
गुरुग्राम (सेक्टर 51) 342
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अमिताभ कांत ने दिल्ली एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सवाल उठाते हुये कहा कि अलग लॅास एंजिल्स, बीजिंग और लंदन वायु प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं, तो दिल्ली क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए निरंतर काम और पहलों के सख्त क्रियान्वयन की जरूरत है. एक एकीकृत कार्य योजना की जरूरत है. जो वायु प्रदूषण से जुड़े सभी पहलुओं पर मिलकर काम करे.

