Cyber Crime: सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने ऑपरेशन चक्र-5 के तहत साइबर अपराधियों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई शुरू की है. जांच एजेंसी ने एक ऐसे संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है जो लाखों फ़िशिंग SMS मैसेज भेजकर पूरे देश में लोगों को धोखा दे रहा था. इन धोखे वाले मैसेज में नकली डिजिटल अरेस्ट वारंट, आसान लोन, झूठे इन्वेस्टमेंट के मौके और दूसरे स्कैम की पेशकश की जाती थी. इस मामले में तीन लोगों – सोनवीर सिंह, मनीष उप्रेती और हिमालय को गिरफ्तार किया गया है.
संदिग्ध SMS मैसेज की पूरी तरह से जांच की गई
CBI ने उन संदिग्ध SMS मैसेज की पूरी जांच की जो लोगों को रोज़ उनके फ़ोन पर मिल रहे थे. जांच के दौरान पता चला कि NCR और चंडीगढ़ इलाकों में एक गैंग काम कर रहा था, जो साइबर धोखेबाजों को बल्क SMS मैसेज भेजने की सर्विस दे रहा था.
21,000 सिम कार्ड जब्त किए गए
हैरानी की बात है कि विदेशी अपराधी भी भारतीय नागरिकों को धोखा देने के लिए इस सुविधा का इस्तेमाल कर रहे थे.
जांच में पता चला कि नियमों का उल्लंघन करके लगभग 21,000 सिम कार्ड हासिल किए गए थे.
इन सिम कार्ड को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के ज़रिए कंट्रोल किया जाता था, जिसका इस्तेमाल हर दिन लाखों धोखाधड़ी वाले मैसेज भेजने के लिए किया जाता था.
इन मैसेज का मकसद लोगों की पर्सनल जानकारी और बैंक डिटेल्स चुराना था.
धोखेबाज़ लोगों को नकली लोन, इन्वेस्टमेंट और दूसरे फायदे देने का लालच देते थे.
प्राइवेट कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज
टेलीकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की मदद से और संचार साथी पोर्टल से मिली जानकारी का इस्तेमाल करते हुए, CBI ने एक प्राइवेट कंपनी, लॉर्ड महावीर सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
दिल्ली, नोएडा और चंडीगढ़ में छापे मारे गए
आरोप है कि यह कंपनी अवैध सिस्टम चला रही थी, जिससे धोखेबाज़ पूरे देश में धोखाधड़ी वाले मैसेज भेज रहे थे.
CBI ने दिल्ली, नोएडा और चंडीगढ़ में कई जगहों पर छापे मारे.
इन छापों के दौरान, सर्वर, कम्युनिकेशन डिवाइस, USB हब, डोंगल और हज़ारों सिम कार्ड सहित एक पूरा ऑपरेशनल सिस्टम बरामद किया गया। इस सेटअप का इस्तेमाल रोज़ाना लाखों धोखाधड़ी वाले मैसेज भेजने के लिए किया जा रहा था.
छापों के दौरान, CBI ने अहम डिजिटल सबूत, बिना हिसाब का कैश और क्रिप्टोकरेंसी भी ज़ब्त की.
एडवांस्ड इंटेलिजेंस का इस्तेमाल
शुरुआती जांच में कुछ टेलीकॉम कंपनियों के चैनल पार्टनर और कर्मचारियों के शामिल होने का पता चला है, जिन्होंने SIM कार्ड की अवैध खरीद में मदद की थी. CBI का कहना है कि एजेंसी अब सीधे साइबर क्राइम के टेक्निकल इंफ्रास्ट्रक्चर को टारगेट कर रही है. दूसरी एजेंसियों के साथ मिलकर और एडवांस्ड इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके, CBI उन अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रखेगी जो जनता को धोखा देने के लिए टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल करते हैं. CBI का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि ऐसे अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए.