8th Pay Commisssion: जहां एक तरफ पूरे देश के केंद्रीय कर्मचारी 8वें वेतन आयोग का इंतजार कर रहे थे. तो वहीं इसे लेकर एक मायूसी वाली खबर सामने आ रही है. दरअसल, भारत सरकार ने 3 नवंबर को 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) पर एक राजपत्र अधिसूचना भी जारी की है. अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि “सरकार द्वारा 8वें केंद्रीय वेतन आयोग को प्रस्तुत किए गए संदर्भ की शर्तें (TOR) ‘कामकाजी’ वर्ग और ‘बुजुर्ग‘ पेंशनभोगियों के प्रति वर्तमान सरकार की उदासीनता को दर्शाती हैं. AITUC महासचिव के मुताबिक, नरेंद्र मोदी सरकार ने 69 लाख पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों को 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के दायरे से बाहर रखकर उनके साथ विश्वासघात किया है. सरकार मौजूदा पेंशनभोगियों के भविष्य का फैसला करने के लिए वित्त विधेयक के माध्यम से संसद को दिए गए सत्यापन अधिकार का लाभ उठा रही है.
8th Pay Commisssion को लेकर छिड़ी बहस
वहीं आपको बता दें कि एआईटीयूसी ने पहले ही कहा है कि आठवाँ केंद्रीय वेतन आयोग इतना प्रतिबंधात्मक है कि वो कर्मचारियों के लिए उचित जीवनयापन योग्य वेतन की सिफारिश नहीं कर सकता. टीओआर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आठवें वेतन आयोग को याद दिलाता है कि उसे केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में किसी भी उचित वृद्धि की सिफारिश नहीं करनी चाहिए. सभी मंत्रालयों और विभागों में पहले से ही कर्मचारियों की भारी कमी है, जिससे प्रत्येक कर्मचारी को अधिक घंटे काम करने और बिना किसी अतिरिक्त लाभ के कम से कम दो कर्मचारियों का काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
दस लाख से ज़्यादा खाली पदों का यही हाल
एआईटीयूसी के महासचिव के अनुसार, महिला लोको पायलटों सहित रेलवे कर्मचारियों को प्रतिदिन 12 घंटे से ज़्यादा काम करने के लिए मजबूर किया जाता है और उन्हें बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित रखा जाता है. दस लाख से ज़्यादा रिक्त पदों को भरने के बजाय, सरकार निश्चित अवधि के रोज़गार की पेशकश कर रही है और सेवानिवृत्त कर्मचारियों, खासकर रेलवे और रक्षा क्षेत्रों में, को फिर से नियुक्त कर रही है. ऐसी स्थिति में, आठवें वेतन आयोग की कार्य शर्तें केंद्र सरकार के कर्मचारियों का मनोबल पूरी तरह से गिरा देंगी, जो पहले से ही अत्यधिक कार्यभार और सेवानिवृत्ति पर गैर-अंशदायी पेंशन की कमी से जूझ रहे हैं.

