भारत के इन 5 मंदिरों से प्रसाद घर ले जाना है मना, खा लिया तो और मुसीबत! आखिर क्या है वजह
Mysterious Temples of India: भारत में कई रहस्यमयी मंदिर हैं, जहां का इतिहास और कहानियां किसी को भी रोमांचित कर सकती हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं भारत में ऐसे भी मंदिर हैं, जहां का प्रसाद खाना और घर ले जाना साफ तौर पर मना है.
भारत के रहस्यमयी मंदिर
भारत ऐसा देश है, जहां हर गली और मोड़ पर मंदिर मौजूद है. यही वजह है कि भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है. कई मंदिर ऐतिहासिक और पौराणिक गाथाओं के गवाह हैं, तो कई की शक्ति और धर्म की पहचान हैं. आज हम यहां ऐसे मंदिरों का जिक्र करने जा रहे हैं, जिनका प्रसाद खाना और घर ले जाना पूरी तरह वर्जित माना जाता है.
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर
राजस्थान में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की कई कहानियां और पौराणिक गाथाएं सुनने को मिलती हैं. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में नाकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी आत्माओं से छुटकारा मिलता है.
बूंदी के लड्डू का चढ़ता है प्रसाद
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में बूंदी के लड्डू और भैरव बाबा की दाल और चावल का भोग लगता है. लेकिन, यह प्रसाद खाना वर्जित माना जाता है. मंदिर के पुजारियों के मुताबिक, अगर यह प्रसाद खा लिया जाए या घर ले जाएं तो बुरी शक्तियां आपके पीछे लग सकती हैं.
मां कामख्या मंदिर
असम के गुहावटी स्थित मां कामख्या मंदिर की भी खूब महत्वता है. यह मंदिर हर महीने 3 दिनों के लिए बंद रहता है और इस दौरान किसी भी भक्त को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलता है.
3 दिन प्रसाद की मनाही
मां कामख्या मंदिर में तीन दिनों तक पूजा नहीं होती है और न ही प्रसाद दिया जाता है. साथ ही प्रसाद लेना भी वर्जित माना जाता है.
काल भैरव मंदिर
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर से भी प्रसाद लेना वर्जित है. इस मंदिर में भैरव बाबा को शराब का भोग लगाया जाता है. लेकिन, इसे प्रसाद के रूप में न दिया जाता है और न इसे लेना चाहिए.
नैना देवी मंदिर
हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर भी उन मंदिरों में शामिल है, जहां से प्रसाद घर लेकर नहीं जाना चाहिए.
क्यों है मना?
मां नैना देवी को फल, फूल और मिठाईयों का भोग लगता है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में मिलने वाले प्रसाद को परिसर में ही ग्रहण कर लेना चाहिए और घर नहीं लेकर जाना चाहिए.
कोलार कोटिलिंगेश्वर मंदिर
दक्षिण भारत के कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित कोटिलिंगेश्वर मंदिर में करोड़ों की संख्या में शिवलिंग मौजूद हैं. इस मंदिर से भी प्रसाद खाने और ले जाना मना होता है.
क्यों प्रसाद खाना है मना?
कोटिलिंगेश्वर मंदिर से मिलने वाले प्रसाद को प्रतीकात्मक रूप से ही ग्रहण किया जाता है. इसके अलावा शिवलिंग पर अर्पित प्रसाद को भूलकर भी नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह चंडेश्वर को समर्पित होता है.