धनतेरस कब है, 20 या 21 किस दिन मनाई जाएगी दिवाली, क्यों सजाते हैं रंगोली? यहां जानें त्योहार से जुड़े 15 सवालों के जवाब
Diwali Quiz: धनतेरस कब है? दिवाली किस दिन है 20 या 21? इस साल धनतेरस और दिवाली को लेकर काफी ज्यादा कंफ्यूजन है. इसके अलावा लोग इस बात के लिए भी कंफ्यूज रहते हैं कि दिवाली के दिन कितने दीएं जलाए जाते है और धनतेरस पर कितने दीपक जलाने चाहिए? पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? इसके अलावा भी कई सवाल है, जो लोगों के मन में आते हैं, चलिए जानते हैं यहां इन सभी सवालो के जवाब.
धनतेरस से शुरू होता है दिवाली का त्योहार
धनतेरस के त्योहार से दिवाली के त्योहार की शुरुआत होती है. धनतेरस के अगले दिन छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी मनाई जाती है, उसके बाद दिवाली का त्योहार मनाया जाता हैं. दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा और उससे अगले दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता हैं. 5 दिन तक चलने वाले इन त्योहारों को पूरे भारत में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. इन सभी त्योहारों का अपना-अपना विशेष महत्व और पौराणिक कहानी है.
धनतेरस और दिवाली तिथि को लेकर है कंफ्यूजन
धनतेरस कब है? दिवाली किस दिन है 20 या 21? इस साल धनतेरस और दिवाली को लेकर काफी ज्यादा कंफ्यूजन है. इसके अलावा लोग इस बातों के लिए भी कंफ्यूज रहते हैं कि दिवाली के दिन कितनी दीए जलाने चाहिए? पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? दिवाली के दिन रंगोली क्यों मनाते हैं? चलिए जानते हैं यहां इन सभी सवालो के जवाब
धनतेरस कब है?
कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. 18 अक्टूबर, शनिवार के दिन त्रयोदशी तिथि का आरंभ दोपहर में 12 बजकर 20 मिनट से होगा. वहीं,19 अक्टूबर, रविवार को दोपहर के 1 बजकर 52 मिनट पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी. उदय तिथि के अनुसार धनतेरस का त्योहार 18 अक्टूबर शनिवार के दिन मनाया जायेगा.
धनतेरस के दिन कितने दीपक जलाए जाते हैं?
धनतेरस के दिन 13 दीए जलाना शुभ माना जाता है. धनतेरस के दिन गोधूलि बेला में दीपक जलाना बेहद शुभ होता हैं. गोधूलि बेला यानि न दिन का वक्त और न रात का समय. ढलते सूर्य जब अपनी लालिमा में होता है, उस समय को गोधूलि बेला कहा जाता है.
धनतेरस पर क्या खरीदना सबसे शुभ होता है?
धनतेरस के दिन सोना, चांदी या तांबे, कांसे और पीतल की धातु से बने बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है. मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई चीजों में 13 गुना वृद्धि होती है.
धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
धनतेरस के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 01 घण्टे 04 मिनट का है. धनतेरस पूजा मुहूर्त - शाम 07 बजकर 16 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगा.
धनतेरस के दिन खरीदारी का शुभ मुहूर्त क्या है?
धनतेरस पर सोना-चांदी और अन्य सामानों की खरीदारी के लिए तीन मुहूर्त बेहद शुभ है
पहला शुभ मुहूर्त- 29 अक्तूबर के दिन सुबह 10 बजकर 31 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 32 मिनट तक. दूसरा शुभ मुहूर्त- 29 अक्तूबर शाम 06 बजकर 31 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 13 मिनट तक. तीसरा खरीदारी का मुहूर्त- 29 अक्तूबर शाम 5 बजकर 38 बजे से लेकर 6 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.
नरक चतुर्दशी कब है?
छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. छोटी दिवाली का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है. 19 अक्टूबर, रविवार के दिन चतुर्दशी तिथि का आरंभ दोपहर 1 बजकर 51 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन दोपहर 3 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. उदय तिथि के अनुसार नरक चतुर्दशी का त्योहार 19 अक्टूबर रविवार के दिन मनाया जायेगा.
छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, नरकासुर राक्षस ने अपने अत्याचारों से तीनों लोकों में आतंक मचा हुआ था. उसके अत्याचारों से देवता और मनुष्य सभी परेशान थे. इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध किया. इसलिए नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है
20 या 21 किस दिन मनाई जाएगी दिवाली?
हर साल दिवाली का त्योहार अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है. साल 2025 में अमावस्या तिथि का आरंभ 20 अक्टूबर, सोमवार के दिन दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर हो रहा है और तिथि का समापन 21 अक्टूबर की रात 9 बजकर 03 मिनट पर होगा. उदय तिथि के अनुसार दिवाली का त्योहार 20 अक्टूबर सोमवार के दिन मनाया जायेगा.
दिवाली क्यों मनाई जाती है?
दिवाली का त्योहार मनाने की कई मान्यताए हैं, जिसमें से एक है - भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काट कर अयोध्या वापस लौटे थे, इसी खुशी में पूरे देशभर में दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. अयोध्या के लोगों ने उनके स्वागत में घी के दीये जलाए थे, जिससे अमावस्या की अंधेरी रात रोशन हो गई थी. इसके अलावा दक्षिण भारत में मान्यता है कि दिवाली के दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था और इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई. साथ ही कई मान्यताओं के अनुसार दिवाली के दिन ही देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ था और भगवान विष्णु के साथ उनके विवाह के उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है.
दिवाली का त्योहार कितने दिनों तक चलता है?
दिवाली का त्योहार 5 दिनों तक लगातार चलता है. पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), तिसरे दिन दीपावली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और अंतिम और पांचवें दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है.
दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी दिवाली की रात पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं. लोग उन्हें अपने घरों में आमंत्रित करने के लिए लोग घर में दिवाली के दिन घर में लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं. ताकी उनके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे.
दिवाली के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त क्या है?
साल 2025 में 20 अक्टूबर के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जायेगा. इस दिन लक्ष्मी गणेश की पूजा का शुभ समय शाम 7 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इस अवधि को प्रदोष काल और स्थिर लग्न का संयोग कहा गया है.
दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा क्यों होती है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार देवी लक्ष्मी,भगवान विष्णु से बातें कर रही थी और देवी ने बातों में कहां मैं धन, समृद्धि, सौभाग्य, ऐश्वर्य की देवी हूं, तो इसलिए मेरी पूजा सबसे पहले होनी चाहिए. विष्णु जी ने देवी के बातों में अभिमान को भाप लिया और उन्होंने कहा कि जी देवी आप सर्वश्रेष्ठ हैं, लेकिन मातृत्व के बिना एक स्त्री का नारीत्व अधूरा होता है. इसे सुनने के बाद मां लक्ष्मी बहुत निराश हो गई और अपने नारीत्व को पूरा करने के लिए देवी पार्वती के पास जा पहुंचीं. मां पार्वती के 2 पुत्र थे, इसलिए उन्होंने पार्वती से एक पुत्र गोद देने की मांग की. मां पार्वती ने देवी लक्ष्मी के दर्द समझा और श्री गणेश उन्हें सौंप दिया. तब मां लक्ष्मी ने कहा कि उनकी पूजा के बाद श्री गणेश जी की पूजा की जायेगी और ऐसे करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होगा. इसी वजह से दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के साथ श्री गणेश की पूजा की जाती है.
दिवाली के दिन कितने तेल और कितने घी के दीपक जलाने चाहिए
दिवाली के दिन आप 13 या फिर 26 दीपक जला सकते हैं. पहला दिया सरसों का तेल का, जो यम के नाम का जलाया जाता है. इस दीए को रात का अंधेरा होने के बाद सोने से पहले घर के बाहर जलाना चाहिए. इसके बाद 12 दीये घी के जलाने चाहिए
दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा क्यों होती है?
भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र के अहंकार को तोड़ने और गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों को भारी बारिश से बचाने की याद में गोवर्धन पूजा का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है.
दिवाली पर घरों को रंगोली से क्यों सजाया जाता है?
रंगोली को सौभाग्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है और इसे देवी-देवताओं का स्वागत करने, खासकर देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने और घर में सुख-समृद्धि लाने के लिए बनाया जाता है
Disclaimer:
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. Inkhabar इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.