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पहलवानों की हवा टाइट कर देगा ट्रेन के पहिए का वजन, 5 आदमी मिलकर भी नहीं उठा पाएं… जानकर कांप जाएगी रूह!

Train Wheel Weight: रेलवे से जुड़ी कई तरह की रिपोर्ट्स और जानकारियों के बारे में आपने पढ़ा होगा. लेकिन आज हम आपको एक अलग और बेहद दिलचस्प जानकारी देने जा रहे हैं.


By: Preeti Rajput | Published: December 14, 2025 10:08:21 AM IST

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रेलवे और आधुनिकरण

भारतीय रेलवे आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण के साथ मिलकर विकास की तरफ आगे बढ़ रहा है. AI, RFID, ऑनलाइन बुकिंग सभी चीजों डिजिटलीकरण के कारण आसान और सुविधाजनक हो चुकी है. भारतीय रेलवे का लक्ष्य है कि कार्बन उत्सर्जन घटाना और यात्री अनुभव को बेहतर जल्द से जल्द बनाया जाए.

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भारतीय रेलवे का योगदान

भारतीय रेलवे सतत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. भारतीय रेलवे के नाम पर अब तक कई रिकॉर्ड भी दर्ज किए जा चुके हैं. लेकिन आज हम आपको रेलवे से जुड़ी एक मजेदार और जरूरी फैक्ट बताने जा रहे हैं.

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कहां बनते हैं ट्रेन की पहिए?

भारत में ट्रेन के पहिये मुख्य तौर पर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु की रेल पहिया फैक्ट्री में और बिहार के सारण के रेल व्हील प्लांट में बनाए जाते हैं. ये दोनों ही भारतीय रेलवे के लिए पहियों की मांग को पूरा करते हैं. इसके अलावा तमिलनाडु में भी फोर्ज्ड पहियों के लिए नई इकाइयां स्थापित करने का फैसला किया गया है. जिससे भारत रेल पहियों का निर्यात कर सकेगा.

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रेल पहियों का निर्यात करेगा भारत

बेंगलुरु की फैक्ट्री एक एकीकृत कारखाना है जो व्हील सेट बनाता है. साथ ही भारतीय रेलवे का सबसे जरूरी आपूर्तिकर्ता भी बेंगलुरु है. बेला प्लांट भी भारी मात्रा में पहियों की निर्माण करता है. यह देश में रेलवे की रफ्तार को बनाए रखते हैं.

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ट्रेन के पहिये का वजन

ट्रेन के पहिये का वजन उसके प्रकार और उपयोग पर निर्भर करता है. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के अनुसार, पहिये का वजन 326 किलोग्राम (LHB कोच) और 554 किलोग्राम (इलेक्ट्रिक इंजन) तक होता है.

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अलग-अलग होता है पहियों का वजन

सामान्य कोच के पहिये करीब 384 किलो. वहीं डीजल इंजन के पहिये 528 किलो तक होता है. इंजन के पहिए पूरी ट्रेन को खींचते हैं इसलिए उन्हें ज्यादा भारी और मजबूत बनाया जाता है. पहियों की सुरक्षा बहुत जरूरी होती है, इसी कारण हर 30 दिन में इसकी जांच की जाती है.

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विकास पथ पर फर्राटे से दौड़ रहा भारतीय रेलवे

पहियों के लिए तमिलनाडु के गुम्मिदीपोंडी में फोर्ज्ड एक नया संयंत्र तैयार किया जा रहा है. जिससे भारत फोर्ज्ड पहियों का निर्यातक बन जाएगा. उत्तर प्रदेश के रायबरेली में निजी और सरकारी क्षेत्र के संयंत्र स्टील की पूर्ति करने की कोशिश में लगे हुए हैं.