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हरम की औरतों को रातभर नहीं सोने की मिलती थी मोटी कीमत, महीने की तनख्वाह जान खिसक जाएगी पैरों तले जमीन!

Mughal Harem women salary: मुगलों के हरम में हजारों औरतें रहती थीं, जिनमें से कई दासियां और रखैलें थीं. इन औरतों को हर महीने मुगल दरबार से तनख्वाह भी मिलती थी. हरम की औरतों को हर महीने मिलने वाली रकम आज के हिसाब से बेहद मोटी थी.


By: Prachi Tandon | Last Updated: October 23, 2025 9:46:07 PM IST

हरम की औरतों को रातभर नहीं सोने की मिलती थी मोटी कीमत, महीने की तनख्वाह जान खिसक जाएगी पैरों तले जमीन! - Photo Gallery
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बाबर ने की हरम की शुरुआत!

भारत में हरम की शुरुआत मुगल बादशाह बाबर ने की थी. वहीं, इसे बढ़ाने का काम बादशाह अकबर ने अपने हाथों में लिया. वहीं, कई इतिहासकार ऐसा मानते हैं कि जहांगीर के हरम में 5 हजार से ज्यादा औरतें थीं. इन औरतों में बादशाह की बेगमों से लेकर दासियां और रखैलें भी शामिल थीं.

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रहती थीं अलग-अलग धर्म और संस्कृति की औरतें

इतिहासकार प्राणनाथ चोपड़ा ने अपनी किताब Some aspects of social life during the Mughal age में मुगलों के हरम का जिक्र किया है. इस किताब में इतिहासकार ने बताया है कि हरम में सिर्फ मुगल नहीं, बल्कि अलग-अलग धर्म और संस्कृति की महिलाएं रहती थीं.

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अलग-अलग कमरे

इतिहासकार के मुताबिक, हरम में बादशाह की करीबी और पसंदीदा औरतों के लिए अलग कमरे बने होते थे. वहीं, दासियों और नापसंद औरतों के लिए अलग कमरे बने होते थे.

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क्या होती थीं जिम्मेदारियां?

बादशाह की पसंद की औरतें सजने-संवरने में व्यस्त रहती थीं. तो अन्य औरतों पर बाग-बगीचा संवारने, पर्दों और फव्वारों की देखरेख से लेकर शाम को शमा जलाकर रखने जैसी जिम्मेदारियां होती थीं.

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कितनी मिलती थी तनख्वाह?

इतिहासकार के मुताबिक, महिलाओं को उनके काम और मेहनत के रूप में हर महीने नजराना दिया जाता था. इसे आज की भाषा में सैलरी यानी तनख्वाह भी कहा जा सकता है. मुगल हरम में बड़े पद और जिम्मेदारी को संभालने वाली औरत को हर महीने 1600 रुपये मिलते थे.

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बादशाह का नजराना

वहीं, कई औरतों को तोहफे और बादशाह की तरफ से नजराने मिलते थे, जिसमें गहने, अशर्फियां और कीमती चीजें शामिल होती थीं. जिनकी कीमत रुपयों में नहीं लगाई जा सकती थी.

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मुगल हरम के नियम

मुगल हरम के नियम बहुत सख्त थे. एक बार कोई औरत हरम में कदम रख देती थी तो उसे बाहर जाने के लिए बादशाह की इजाजत की जरूरत होती थी. बादशाह की इजाजत के बिना हरम में न कोई आ सकता था और न ही वहां से कोई जा सकता था.

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प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है.