Kajri Teej 2025: कजरी तीज पर इन शुभ कामों से मिलेगा पति को लंबा जीवन और आएगा रिश्तों में प्यार
Kajri Teej 2025: कजरी तीज 2025 भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए शुभ माना जाता है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख और अखंड सौभाग्य की कामना से यह व्रत रखती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इसे करती हैं ,आइए जानतें हैं इसके बारें में ..
कजरी तीज का महत्व और तिथि
कजरी तीज, जिसे कजली तीज भी कहा जाता है, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह त्योहार मंगलवार 12 अगस्त मनाया जाएगा को मनाया जाएगा। यह व्रत खासकर उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है।
व्रत रखने का महत्व
कजरी तीज का व्रत विवाहित महिलाओं के लिए न केवल धार्मिक बल्कि भावनात्मक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इसे निर्जला व्रत के रूप में रखा जाता है, इस व्रत को पति की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और जीवन में सुख-शांति की कामना के लिए रखा जाता है। अविवाहित कन्याएं भी यह व्रत अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए करती हैं।
पूजा विधि और तैयारी
कजरी तीज की पूजा विधि में सबसे पहले घर या मंदिर की साफ-सफाई की जाती है। इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित किए जाते हैं। महिलाएं नए या साफ पारंपरिक कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। पूजा में जल, फूल, बेलपत्र, दूध, दही, शहद, अक्षत और सुहाग सामग्री का उपयोग होता है।
सुहाग सामग्री का दान
कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाओं को सुहाग सामग्री (जैसे बिंदी, चूड़ी, सिंदूर, कंघी, बिछिया आदि) दान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से पति की उम्र लंबी होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
जल अर्पण
इस दिन पवित्र नदी, तालाब या कुएं में जल अर्पण करने की परंपरा है। जल में फूल और अक्षत (चावल) मिलाकर अर्पित करने से घर में शांति और समृद्धि आती है। यह उपाय प्रकृति और जल देवता की कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम है।
पीपल के पेड़ की पूजा
कजरी तीज के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। पीपल के पेड़ के चारों ओर 7 या 11 बार कच्चा सूत लपेटकर दीपक जलाएं और जल अर्पण करें। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है। यह उपाय पितृ दोष को कम करने और भाग्य को मजबूत बनाने में भी सहायक है।
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