इको‑फ्रेंडली यात्रा की दिशा में बड़ा कदम, वाराणसी में भारत का पहला हाइड्रोजन जहाज!
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने वाराणसी में भारत के पहले स्वदेशी हाइड्रोजन-फ्यूल वाले पैसेंजर प्लेन को हरी झंडी दिखाई.
हाइड्रोजन जहाज़ का ऐतिहासिक लॉन्च
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने वाराणसी के नमो घाट पर भारत के पहले पूरी तरह से स्वदेशी हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले पैसेंजर जहाज़ को हरी झंडी दिखाई, जो सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट में एक बड़ा मील का पत्थर है.
ग्रीन प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी
यह जहाज़ लो-टेम्परेचर प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (LT-PEM) फ्यूल सेल सिस्टम का इस्तेमाल करता है जो हाइड्रोजन को बिजली में बदलता है और बायप्रोडक्ट के तौर पर सिर्फ़ पानी छोड़ता है, जिससे ज़ीरो पॉल्यूशन होता है.
अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ावा
इस लॉन्च से भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण की अंतर्देशीय जल परिवहन, विशेष रूप से राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा) को आधुनिक बनाने और कार्बन मुक्त करने की योजना को मजबूती मिलेगी.
पैसेंजर कैपेसिटी और फीचर्स
24-मीटर लंबा यह कैटामारन एयर-कंडीशन्ड केबिन में 50 पैसेंजर ले जा सकता है, जिससे सड़क पर भीड़ कम होती है और आने-जाने वालों और टूरिस्ट को साफ-सुथरा सफर मिलता है.
हाइब्रिड एनर्जी सिस्टम
हाइड्रोजन फ्यूल सेल के अलावा, जहाज के सिस्टम में बैटरी और सोलर पावर भी इंटीग्रेट होती है, जिससे एक हाइड्रोजन रिफिल पर आठ घंटे तक काम किया जा सकता है.
पर्यावरण और टूरिज्म के फायदे
हाइड्रोजन वेसल बिना शोर और प्रदूषण के यात्रा का वादा करता है, वाराणसी में इको-टूरिज्म को सपोर्ट करता है, और लॉन्ग-टर्म समुद्री विजन के तहत 2070 तक भारत के नेट-जीरो एमिशन लक्ष्यों के साथ अलाइन है.