बिहार चुनाव पर क्या नीतीश कुमार की इस योजना का भी होगा असर? लड़कियां बढ़ा सकती हैं महागठबंधन की मुश्किलें!
Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही चुनाव में कौन बाजी मारेगा? इसको लेकर चर्चा तेज हो गई है. इसक विश्लेषण मुद्दों के आधार पर भी किया जा रहा है. चुनाव में कई ऐसे मुद्दे हैं, जो हावी रहने वाले हैं. वहीं कुछ ऐसे भी मुद्दे हैं, जो बिना हो-हल्ला के इस चुनाव पर असर डाल सकती है. उन्हीं मुद्दों में से एक मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना है, जिसके जरिए करोड़ों स्कूली छात्रों को साइकिल मिल चुका है. आइये समझते हैं कि कैसे यह योजना चुनाव पर अपना प्रभाव दिखा सकती है.
लड़कियों को स्कूल में मिलने वाली साइकिल एक बड़ा मुद्दा
बिहार विधानसभा चुनाव में कई ऐसे मुद्दे हैं, जो पूरे चुनाव के दौरान हावी रहने हैं. वहीं कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं, जो बिना ज्यादा हो-हल्ला के चुनाव पर अपना असर दिखाएगी. इसमें से ही एक मुद्दा लड़कियों को स्कूल में मिलने वाली साइकिल है.
साइकिल वाली लड़कियां रखती हैं ये ताकत
साइकिल वाली लड़कियां अकेले किसी भी पार्टी को जीत दिलाने की ताकत रखती हैं और शायद यही नीतीश कुमार का बैकबोन भी है.
NDA को लाभ दे सकती है यह योजना
तेजस्वी यादव, राहुल गांधी और प्रशांत किशोर (PK) की रणनीतियां कितनी भी शार्प हों, लेकिन महिलाओं का ये ब्लॉक NDA को लाभ दे सकता है.
नीतीश कुमार की योजना वोट बैंक में हुई तब्दील!
नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना शुरुआत में यह सिर्फ लड़कियों को स्कूलों तक लाने का माध्यम था, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, ये वोट बैंक में भी तब्दील हो गया.
नीतीश कुमार ने 2006 में योजना को किया था लॉन्च
नीतीश कुमार ने 2005 में सत्ता संभालते ही 2006 में इस योजना को लॉन्च किया. सिंपल आईडिया था कि 9वीं क्लास में एडमिशन लेने वाली सरकारी स्कूलों की लड़कियों को साइकिल खरीदने के लिए 1000 से 2000 रुपये की सब्सिडी देंगे.
पहले साल 1.63 लाख लड़कियों को मिला था फायदा
पहले ही साल में कमाल हो गया. 1.63 लाख लड़कियों को इसका फायदा मिला. इसके बाद 2011 तक लड़कियों का स्कूल में दाखिला 1.7 लाख से बढ़कर 6.5 लाख तक हो गया. 2020 तक मैट्रिक परीक्षा देने वाली लड़कियां 1.87 लाख से 8.37 लाख पहुंच गईं और ड्रॉपआउट रेट 70 फीसदी से गिरकर 20 फीसदी रह गया.
2.5 करोड़ लड़कियों को साइकिल बांट चुकी है सरकार
2006 से अब तक 19 सालों में नीतीश कुमार की सरकार तकरीबन 2.5 करोड़ लड़कियों को साइकिल बांट चुकी है.
हर साल कितनी लड़कियों को मिलती है साइकिल?
एशियन डेवलमपेंट एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (ADRI) और हार्वर्ड की रिसर्च में भी यही बात कही गई है कि हर साल 10 से 12 लाख लड़कियों को इस योजना का लाभ मिलता है.
बिहार में महिलाओं का वोटिंग टर्नआउट पुरुषों से ज्यादा
2010 से बिहार में महिलाओं का वोटिंग टर्नआउट पुरुषों से ज्यादा है. ये ट्रेंड नीतीश की महिलाओं पर फोकस्ड पॉलिसीज से आया. 2020 चुनाव में 56.69 फीसदी महिलाओं ने वोट किया और इनमें साइकिल वाली जेनरेशन का बड़ा रोल था.
बिहार चुनाव पर डाल सकती हैं असर
आज ये 2.5 करोड़ लड़कियां बड़ी हो गई हैं. इनमें लाखों मां बन चुकी हैं, परिवार की जिम्मेदारी संभालती हैं. इनका कुनबा हर साल बढ़ता जा रहा, क्योंकि नई लड़कियां जुड़ती रहती हैं. ऐसे में ये लड़कियां बिहार चुनाव पर असर डाल सकती हैं.