बिहार के 10 बड़े बाहुबली नेता, जिनकी कभी सियासत में बोलती थी तूती
Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का जल्द ही ऐलान हो सकता है. ऐसे में बिहार का चुनाव बाहुबली नेताओं के जिक्र के बिना अधूरी है. आइये इस मौके पर हम आपको बताते हैं कि बिहार के 10 बड़े बाहुबली नेताओं के बारे में, जिनकी कभी सियासत में तूती बोलती थी.
आनंद मोहन
एक समय था जब कोसी बेल्ट में आनंद मोहन की तूती बोलती थी. डीएम जी कृष्णैया की हत्या के दोषी आनंद मोहन उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब बिहार में अगला बनाम पिछड़ा की लड़ाई चल रही थी. वो उस दौर के पहले राजपूत नेता थे, जिन्होंने भूमिहारों के साथ लालू यादव के खिलाफ झंडा बुलंद किया था.
मोहम्मद शहाबुद्दीन
मोहम्मद शहाबुद्दीन का निधन हो चुका है. सिवान के साहेब के नाम से मशहूर शहाबुद्दीन लालू प्रसाद यादव के खासमखास हुआ करते थे. आज की तारीख में उनके परिवार भी RJD से जुड़ा हुआ है.
अनंत सिंह
अनंत सिंह उर्फ छोटे सरकार पटना से सटे मोकामा में रॉबिनहुड की छवि रखते हैं. अनंत सिंह को एके 47 कांड में सजा हुई, जिसके बाद उन्होंने अपनी विधायिकी गंवा दी. लेकिन, मोकामा सीट पर उपचुनाव में इनकी पत्नी ने विधायक की कुर्सी बरकरार रखी. अपनी खरी बोली के लिए जाने वाले अनंत सिंह ने कभी मोकामा में नीतीश कुमार को सिक्कों से तौल दिया था.
पप्पू यादव
पप्पू यादव का असली नाम राजेश रंजन है. पप्पू यादव ने भी 90 के दशक में ही बाहुबल के मैदान में कदम रखा. फिर वो आगे बढ़ते चले गए.
सूरजभान सिंह
बाहुबलियों की चर्चा हो और सूरजभान सिंह का नाम न आए, ये कैसे हो सकता है. लोग कहते हैं कि एक समय पटना से लेकर गोरखपुर तक रेलवे टेंडरों में सूरजभान सिंह का जलवा था. 90 के दशक से अपनी धमक की शुरूआत करने वाले सूरजभान सिंह ने कभी पीछे का रास्ता नहीं देखा. पहले विधायक बने और फिर बाद में सांसद.
सुनील पांडेय
रोहतास के नवाडीह के निवासी सुनील पांडेय के पिता बालू का कारोबार करते थे. इसी दौरान उनकी हत्या कर दी गई. तब सुनील पांडेय बिहार से बाहर कहीं इंजीनियरिंग कर रहे थे. पढ़ने-लिखने में ठीक थे, लेकिन पिता की हत्या ने इन्हें विचलित कर दिया और ये बाहुबल के मैदान में कूद गए. साल 2000 में इन्होंने भोजपुर के पीरो से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गए. इसके बाद इन्होंने पीछे का मुंह नहीं देखा.
प्रभुनाथ सिंह
बिहार में RJD के कद्दावर नेता प्रभुनाथ सिंह को कभी छपरा का नाथ भी कहा जाने लगा था. एक समय में प्रभुनाथ सिंह ने यहां ऐसी धाक जमा ली थी, जिसका कई जोड़ नहीं था. 1990 के विधानसभा चुनाव में प्रभुनाथ सिंह ने जनता दल के टिकट पर भारी मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी.
काली प्रसाद पांडेय
काली प्रसाद पांडेय, वो नाम जो 80-90 के दशक में बाहुबलियों का गुरु कहा जाता था. काली पांडेय के ऊप कई संगीन आरोप लगे थे. इसके चलते वो जेल भी जा चुके थे. इन्होंने 1984 में गोपालगंज सीट से लोकसभा के चुनावी मैदान में ताल ठोक दी. इनका प्रभाव कितना था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1984 के लोकसऊा चुनाव में इन्हें रेकॉर्ड वोट मिले थे.
राजन तिवारी
बिहार के बाहुबलियों में राजन तिवारी का नाम भी शुमार है. राजन तिवारी पर हत्या और अपहरण के कई आरोप लगे थे. पड़ोसी यूपी में भी राजन तिवारी की तूती बोलती थी. ये दो-दो बार बिहार में विधायक बने.
रामा किशोर सिंह
बिहार के वैशाली जिले से ताल्लुक रखने वाले रामा किशोर सिंह भी बिहार के बाहुबलियों के चैप्टर का एक हिस्सा हैं. इन्होंने कई दफे महनार विधानसभा सीट से जीत दर्ज की. 2014 में मोदी लहर में उन्होंने RJD के दिवंगक नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को लोकसभा चुनाव में हरा दिया था.