Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान ने भारतीय राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। भागवत ने 9 जुलाई को नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि 75 साल की उम्र के बाद व्यक्ति को रुक जाना चाहिए और दूसरों के लिए जगह बनानी चाहिए। इस बयान को सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जोड़कर देखा जा रहा है, जो इसी साल 17 सितंबर को 75 साल के होने वाले हैं।
हालांकि मोहन भागवत ने अपने बयान में किसी नाम का जिक्र नहीं किया, लेकिन उनके शब्दों में छुपा ‘इशारा’ अब चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने एक किताब के विमोचन के मौके पर कहा कि जब आपको शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया जाए, तो यह मान लेना चाहिए कि अब ‘समय आ गया है हटने का।’ उन्होंने यह भी कहा कि ये परंपरा मोरोपंत पिंगले जैसे पुराने स्वयंसेवकों से मिली है।
राजनीतिक हलचल और विपक्ष की चुटकी
RSS प्रमुख के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में तेज हलचल है। शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने चुटकी लेते हुए कहा, “भागवत जी का इशारा साफ है, मोदी जी 17 सितंबर को 75 साल के हो जाएंगे।” बता दें, विपक्ष इस बयान को मोदी सरकार पर आंतरिक दबाव और सत्ता हस्तांतरण के संकेत के तौर पर देख रहा है।
मोदी का पुराना बयान भी चर्चा में
भागवत के बयान के बाद एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी का 2016 का बयान भी वायरल हो रहा है, जब उन्होंने नोटबंदी के बाद मुरादाबाद की रैली में कहा था कि “हम तो फकीर आदमी हैं, झोला उठाकर चल पड़ेंगे जी।” इस बयान को अब कई लोग मोदी के त्याग और राष्ट्रसेवा के भाव से जोड़ रहे हैं और कुछ इसे भविष्य की प्लानिंग के संकेत के रूप में देख रहे हैं।
संघ का इशारा या सामान्य परंपरा?
जब मीडिया ने इस बयान पर आरएसएस के एक वरिष्ठ विचारक से प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने कहा, “संघ का काम ही इशारा करना है। भागवत जी का यह बयान सामान्य है, लेकिन समय के हिसाब से इसका अर्थ निकाला जा रहा है।” वहीं, भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “मोदी जी खुद एक प्रामाणिक स्वयंसेवक हैं। उन्हें किसी के कहने की जरूरत नहीं, वे खुद तय करेंगे कि सही समय क्या है।”
क्या 17 सितंबर को कुछ बदलेगा?
इस बयान के बाद अब सभी की नजरें 17 सितंबर 2025 पर टिक गई हैं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 साल के हो जाएंगे। क्या यह किसी नए दौर की शुरुआत होगी? क्या मोदी कोई बड़ा फैसला लेंगे? या फिर यह महज एक विचारात्मक टिप्पणी भर थी?

