INR vs USD: इस फाइनेंशियल ईयर में भारतीय रुपया लगातार कमजोर दिख रहा है. डॉलर के मुकाबले इसमें करीब 5% की गिरावट आई है और पिछले कुछ दिनों से यह 90 डॉलर प्रति डॉलर से ऊपर बना हुआ है. HDFC Tru की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कई बाहरी और घरेलू वजहों से रुपया दबाव में है.
कमजोरी की बड़ी वजहें
फायदे और नुकसान
रुपये की कम कीमत भारतीय एक्सपोर्टर्स के लिए कॉम्पिटिशन बढ़ा सकती है, क्योंकि भारत के बाहर से इंपोर्ट किया गया सामान सस्ता लगेगा. हालांकि, इंपोर्ट महंगा हो जाएगा जिससे पेट्रोल और डीज़ल, विदेश यात्रा और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे रोज़ाना के खर्चे बढ़ सकते हैं. इससे महंगाई पर दबाव बढ़ सकता है.
RBI का क्या रोल है?
IMF की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत “क्रॉल-लाइक अरेंजमेंट” को फॉलो कर रहा है. इसका मतलब है कि RBI रुपये को एक कंट्रोल्ड रेंज में चलने देता है और तेज़ उतार-चढ़ाव को रोकता है. यह अरेंजमेंट रुपये को धीरे-धीरे एडजस्ट करने देता है, आमतौर पर थोड़ी नीचे की तरफ.
भविष्य में क्या होगा?
रिपोर्ट बताती है कि गिरता रुपया लंबे समय में विदेशी निवेशकों के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि रुपये में बदलने पर उनका रिटर्न बढ़ता है. हालांकि, जल्द ही दबाव बना रह सकता है. ग्लोबल फाइनेंशियल हालात महंगे इंपोर्ट और व्यापार से जुड़ी चुनौतियों की वजह से रुपया कमजोर रह सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, रुपये का मौजूदा अंडरवैल्यूएशन लंबे समय तक नहीं रहेगा, इसलिए आने वाले महीनों में बाजार इसके ट्रेंड पर करीब से नज़र रखेगा.

