आतंक की पाठशाला? अल फलाह यूनिवर्सिटी का IM आतंकी से पुराना ‘बैग’ कनेक्शन!
Delhi Blast Case, Al Falah University: दिल्ली धमाके के मामले में एक के बाद एक नए मोड़ सामने आ रहे हैं. फरीदाबाद में स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी एक बार फिर सुरक्षा एजेंसियों के राडार पर है. हाल ही में ‘व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल’ के भंडाफोड़ और धमाके के बाद, यूनिवर्सिटी के पुराने आतंकी संपर्कों की जांच पड़ताल तेजी से शुरू हो गई है. जांच में यह खुलासा हुआ कि इंडियन मुजाहिदीन (IM) का भगोड़ा आतंकी और 2008 के जयपुर, अहमदाबाद, दिल्ली और गोरखपुर ब्लास्ट का आरोपी मिर्ज़ा शादाब बैग इसी यूनिवर्सिटी का छात्र रह चुका है.
ताज़ा विवाद का केंद्र
हाल ही में दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार धमाके के बाद फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी फिर एक बार फिर से सुर्खियों में आ गई है.
व्हाइट-कॉलर मॉड्यूल
यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र और प्रोफेसर डॉ. उमर नबी समेत कई डॉक्टर्स और फैकल्टी सदस्यों को 'व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल' के संबंध में गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है.
पुराना IM कनेक्शन
पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि इंडियन मुजाहिदीन (IM) का भगोड़ा आतंकी मिर्ज़ा शादाब बैग (Mirza Shadab Baig) साल 2007 में इसी यूनिवर्सिटी का छात्र रहा था.
बैग का शैक्षणिक रिकॉर्ड
मिर्ज़ा शादाब बैग ने साल 2007 में यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन में बी.टेक (B.Tech) की पढ़ाई पूरी की थी.
2008 सीरियल ब्लास्ट
बैग 2008 में हुए जयपुर, अहमदाबाद, दिल्ली और गोरखपुर सीरियल ब्लास्ट का प्रमुख आरोपी है और फिलहाल फरार है.
आजमगढ़ मॉड्यूल का प्रमुख
सूत्रों के मुताबिक, बैग इंडियन मुजाहिदीन के आजमगढ़ मॉड्यूल का प्रमुख था और ऐसा माना जाता है कि वह वर्तमान में वह पाकिस्तान में रहता है.
पूर्व में गिरफ्तारी
हालांकि, यह पहला मामला नहीं है, इसे पहले भी इसी यूनिवर्सिटी से जुड़े कई डॉक्टर्स को दिल्ली ब्लास्ट केस में गिरफ्तार किया जा चुका है.
मामले में तेजी से जांच है जारी
सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले 10-15 सालों के छात्रों की प्रोफाइल, फैकल्टी के बैकग्राउंड और एडमिशन डेटा की जाचं पड़ताल तेजी से शुरू कर दी है.
वित्तीय अनियमितता
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के आरोप में यूनिवर्सिटी के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू कर दी है.
अंतर्राष्ट्रीय लिंक की आशंका
फिलहाल, एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि यूनिवर्सिटी का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किस तरह से किया गया और क्या इसके पीछे किसी तरह का अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क काम कर रहा था या फिर नहीं.