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न खुशी न दर्द न तनाव! आखिर क्यों Gen Z को महसूस नहीं हो रही कोई भावना, इस बीमारी का हो रहे शिकार

Emotional Anesthesia: Gen Z! इस शब्द के बारे में तो हर कोई जानता है लेकिन क्या कोई ये जानता है कि जेनरेशन Z अपने व्यवहार और अजीब हरकतों की वजह से लगातार सुर्खियों में रहती है. लेकिन, वो एक ऐसी मनोवैज्ञानिक स्थिति से भी जूझ रहे हैं जिसके बारे में हर कोई नहीं जानता. दरअसल, इस स्थिति को इमोशनल एनेस्थीसिया या इमोशनल नंबिंग कहते. चलिए जान लेते हैं कि आखिर ये स्थति क्या है और ज्यादातर जनरेशन Z के युवा इससे पीड़ित हैं? 


By: Heena Khan | Published: December 16, 2025 7:23:35 AM IST

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Gen Z गुजर रहे इस समस्या से

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस स्थिति में, लोगों की भावनाएं महसूस करने की क्षमता कम हो जाती है. दरअसल, वो दर्द, खुशी, तनाव या डर जैसी भावनाओं को पूरी तरह से महसूस नहीं कर पाते हैं. बहुत से लोगों को यह अजीब लग सकता है, लेकिन सच तो यह है कि जो लोग इस स्थिति से गुज़र रहे हैं, उन्हें भी अक्सर समझ नहीं आता कि ऐसा क्यों हो रहा है.

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क्या है इमोशनल एनेस्थीसिया ?

इमोशनल एनेस्थीसिया का मतलब है इमोशनल सुन्नपन. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी भावनाओं से अलग हो जाता है. सोशल मीडिया के दबाव, ज़्यादा सोचने, लगातार तनाव, रिश्तों में असंतुलन और डिजिटल ओवरलोड की वजह से यह स्थिति Gen Z में तेज़ी से आम होती जा रही है.

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मानसिक थकान

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इमोशनल एनेस्थीसिया एक तरह की मानसिक थकान है जो धीरे-धीरे लाइफस्टाइल और रिश्तों पर असर डालती है. बहुत से लोग यह नहीं समझ पाते कि उन्हें किसी भी चीज़ में कोई एक्साइटमेंट क्यों महसूस नहीं होता.

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इमोशनल एनेस्थीसिया के संकेत

अगर कोई बार-बार खुश महसूस करता है लेकिन उस भावना को महसूस नहीं कर पाता, या दुखी महसूस करता है लेकिन रो नहीं पाता, या घटनाओं पर कोई इमोशनल रिएक्शन नहीं देता, तो ये इमोशनल एनेस्थीसिया के संकेत हो सकते हैं.

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महसूस करते हैं अकेलापन

जेनरेशन Z के लोग आस-पास लोगों के होने के बावजूद अक्सर अकेलापन महसूस करते हैं. रिश्ते तो बनते हैं, लेकिन उनमें गहराई नहीं होती, और उनका दिमाग लगातार थका हुआ महसूस करता है. यह स्थिति धीरे-धीरे उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक बन जाती है.

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भावनाएं होती हैं सुन्न

जेनरेशन Z अपने सपनों, उम्मीदों और तेज़ रफ़्तार लाइफस्टाइल के लिए जानी जाती है. हालांकि, इस जेनरेशन में एक परेशान करने वाली मनोवैज्ञानिक स्थिति तेज़ी से फैल रही है. इसे इमोशनल एनेस्थीसिया कहा जाता है, यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें इंसान की भावनाएं धीरे-धीरे सुन्न हो जाती हैं.