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1970 की अधूरी फिल्म, 13 साल बाद निकलीं सुपरहिट सस्पेंस-थ्रिलर; रजनीकांत की चमक गई किस्मत

Unfinished 1970 Film: बॉलीवुड में हर साल कई फिल्में बनती हैं, जिनमें से कुछ पूरी होने से पहले ही बंद हो जाती है. या फिर कुछ सेंसर बोर्ड में अटक जाती हैं. 90 फीसदी बनने के बाद भी यह फिल्में रिलीज नहीं हो पाती हैं. लेकिन क्या किसी बंद फिल्म से दो फिल्में निकल सकती हैं. बॉलीवुड में ऐसा जादू हो चुका है. अमिताभ बच्चन की एक अ‍टकी फिल्म ने रजनीकंत की किस्मत चमका दी. इस बंद फिल्म से दो सुपरहिट फिल्में निकलीं है. जिसमें अमिताभ बच्चन-श्रीदेवीजया प्रदा ने फ्री में काम किया था.


By: Preeti Rajput | Last Updated: December 23, 2025 1:42:37 PM IST

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शुरुआती अधूरी फिल्म

70 के दशक की शुरुआत में अमिताभ बच्चन फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे. उस समय प्रोड्यूसर कैलाश कपूर उनके साथ एक फिल्म बना रहे थे, जिसका नाम था एक था चंदर, एक थी सुधा. इस फिल्म के लिए पहले रेखा को चुना गया था, लेकिन उन्होंने काम करने से मना कर दिया. बाद में जया भादुड़ी इस फिल्म के लिए तैयार हुईं, फिर भी किसी कारण से यह फिल्म पूरी नहीं हो पाई. अमिताभ का कॉन्ट्रैक्ट बाद में प्रोड्यूसर ए. पूर्णचंद्र राव ने खरीद लिया, और यही फैसला उनके करियर के लिए बहुत बड़ा साबित हुआ.

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दो सुपरहिट फिल्मों की शुरुआत

अमिताभ का कॉन्ट्रैक्ट मिलने के बाद ए. पूर्णचंद्र राव ने उनके साथ दो फिल्में बनाईं, जो आगे चलकर सुपरहिट साबित हुईं. इन फिल्मों के नाम थे अंधा कानून और आखिरी रास्ता. इन फिल्मों ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया, बल्कि अमिताभ बच्चन की स्टार पावर को भी एक बार फिर साबित कर दिया.

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अंधा कानून और अमिताभ का दमदार कैमियो

कई साल बाद ए. पूर्णचंद्र राव ने अमिताभ को बताया कि वे अंधा कानून नाम की फिल्म बना रहे हैं. इस फिल्म में रजनीकांत और हेमा मालिनी लीड रोल में थे, जबकि अमिताभ को सिर्फ एक छोटा कैमियो करना था. अमिताभ ने सिर्फ 5 दिन शूटिंग की, लेकिन उनका रोल इतना दमदार था कि पूरी फिल्म पर भारी पड़ गया. फिल्म में उनका किरदार 35 मिनट बाद आता है, फिर भी दर्शकों पर सबसे ज्यादा असर वही छोड़ते हैं.

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तमिल फिल्म का रीमेक थी अंधा कानून

अंधा कानून एक तमिल फिल्म का हिंदी रीमेक थी, जो 8 अप्रैल 1983 को रिलीज़ हुई. फिल्म का निर्देशन टी. रामा राव ने किया था. इसमें रजनीकांत, हेमा मालिनी, अमिताभ बच्चन, रीना रॉय, माधवी, डैनी डेन्जोंगपा, प्रेम चोपड़ा, प्राण और अमरीश पुरी जैसे बड़े कलाकार थे. फिल्म का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया और आनंद बख्शी ने गाने लिखे. “यह अंधा कानून है” और “रोते-रोते हंसना सीखो” जैसे गाने बेहद मशहूर हुए.

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अमिताभ के डायलॉग्स ने छोड़ी गहरी छाप

फिल्म में अमिताभ बच्चन का किरदार जान निसार अख्तर था. कोर्ट सीन में उनके दमदार डायलॉग्स ने दर्शकों को भावुक कर दिया. उनका गुस्सा, दर्द और सवाल करने का अंदाज़ लोगों के दिलों में बस गया. भले ही कहानी रजनीकांत और हेमा मालिनी के इर्द-गिर्द घूमती हो, लेकिन अमिताभ की साइड स्टोरी फिल्म की जान बन गई.

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अंधा कानून के बाद मिली नई फिल्में

अंधा कानून की सफलता के बाद डायरेक्टर टी. रामा राव ने अमिताभ को इंकलाब और खबरदार जैसी फिल्मों में साइन किया. इंकलाब 1984 में रिलीज़ हुई. वहीं खबरदार का विषय मर्सी किलिंग पर आधारित था, जिसमें कमल हासन मरीज के रोल में और अमिताभ डॉक्टर के किरदार में नजर आए.

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आखिरी रास्ता और श्रीदेवी की चमक

प्रोड्यूसर को पैसे लौटाने के लिए अमिताभ, श्रीदेवी और जया प्रदा ने फिल्म आखिरी रास्ता में मुफ्त में काम किया. यह फिल्म 6 जून 1986 को रिलीज़ हुई और सुपरहिट रही. फिल्म में अमिताभ ने डबल रोल निभाया, जिसे आज भी उनकी यादगार परफॉर्मेंस माना जाता है. उस समय श्रीदेवी को हिंदी नहीं आती थी, इसलिए उनके डायलॉग रेखा ने डब किए. इस फिल्म ने श्रीदेवी को बड़ा स्टार बना दिया और यह 1986 की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म साबित हुई.