‘लाल सोना’ समेत ये 6 बड़े तोहफे PM मोदी ने पुतिन को किए भेंट, देखिए इन उपहारों की क्या है खासियत और कीमत!
पीएम मोदी जब किसी वैश्विक नेता से मिलते हैं, तो उनके उपहार हमेशा ख़ास होते हैं, लेकिन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को दिए गए तोहफों की लिस्ट ने दुनिया का ध्यान खींचा है. ये सिर्फ वस्तुएं नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध संस्कृति, सदियों पुरानी कला और दोनों देशों के बीच भविष्य के संबंधों का संकेत हैं.
प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से राष्ट्रपति पुतिन को कुल 6 बड़े उपहार दिए गए आइये जानते हैं ये 6 उपहार क्या-क्या थे?
1. असम ब्लैक टी (चाय)
असम की ब्लैक टी ब्रह्मपुत्र के उपजाऊ मैदानों में उगाई जाती है. यह चाय अपनी तेज, माल्ट जैसी खुशबू और चमकदार रंग के लिए बहुत खास मानी जाती है. इसे तैयार करने के लिए असमिया किस्म के पत्तों का इस्तेमाल करके पारंपरिक तरीके से प्रोसेसिंग की जाती है.
इसे 2007 में जीआई (GI) टैग मिला था, जो बताता है कि यह चाय यहाँ की मिट्टी, मौसम और कारीगरी से बनी एक बेहतरीन विरासत है।
सिर्फ संस्कृति ही नहीं, इस चाय को सेहत के लिए भी फायदेमंद माना जाता है, इसीलिए इसका हर कप पौष्टिक होता है.
2. चांदी का चाय का सेट
यह चाय का सेट मुर्शिदाबाद की चांदी से बना है और इस पर बारीक नक्काशी की गई है. यह सेट पश्चिम बंगाल की शानदार कारीगरी को दिखाता है. साथ ही, यह भारत और रूस दोनों देशों में चाय के गहरे सांस्कृतिक महत्व को भी दर्शाता है.
हमारे और रूसी, दोनों समाजों में, चाय का मतलब दोस्ती, गर्मजोशी, लोगों से जुड़ाव और एक साथ बैठकर बातें करना होता है.
प्यार से दिया गया यह तोहफा भारत और रूस की मज़बूत दोस्ती और चाय की सदियों पुरानी परंपरा का जश्न मनाता है.
3. चांदी का घोड़ा
यह चांदी का घोड़ा महाराष्ट्र में कारीगरों द्वारा हाथ से बनाया गया है और इस पर बहुत ही बारीक और खूबसूरत नक्काशी की गई है. यह तोहफा भारत की बेहतरीन धातु कला (मेटल क्राफ्ट) की परंपरा को दिखाता है.
घोड़ा भारतीय और रूसी, दोनों ही संस्कृतियों में सम्मान, बहादुरी और ताकत का प्रतीक माना जाता है। इस तरह, यह दोनों देशों की साझा विरासत और आपसी सम्मान को दर्शाता है.
इस घोड़े की मुद्रा (पोज़) ऐसी है कि यह संतुलित होकर आगे बढ़ रहा है, जो दिखाता है कि भारत और रूस की साझेदारी मज़बूत है और हमेशा तरक्की की ओर बढ़ती रहेगी.
मार्बल शतरंज सेट
यह शतरंज सेट आगरा में हाथ से बनाया गया मार्बल (संगमरमर) का है. यह सेट बेहतरीन कलाकारी और इस्तेमाल लायक खूबसूरती का शानदार मेल है. इसे ओडीओपी (ODOP) पहल के तहत चुना गया है, जो इस क्षेत्र की खास पत्थर जड़ाई की विरासत को दिखाता है.
इस सेट में हर मोहरे पर अलग-अलग डिज़ाइन जड़े हुए हैं. इसमें विपरीत रंगों के पत्थरों के मोहरे और फूलों की डिज़ाइन वाला एक चेकर वाला मार्बल बोर्ड है, जो उत्तर भारत की कला का बेहतरीन नमूना है.
मार्बल, लकड़ी और अर्ध-कीमती पत्थरों के मेल से यह सेट आँखों को बहुत भाता है और छूने में भी बहुत सुखद लगता है. यह एक शानदार सजावट का सामान भी है और एक मज़ेदार खेल का साधन भी.
कश्मीरी केसर
कश्मीरी केसर, जिसे स्थानीय रूप से कोंग या ज़ाफ़रान के नाम से जाना जाता है, कश्मीर के ऊंचे इलाकों में उगाया जाता है, और यह अपने समृद्ध रंग, सुगंध और स्वाद के लिए मूल्यवान है, तथा इसका गहरा सांस्कृतिक और पाक (भोजन संबंधी) महत्व है.
जीआई और ओडीओपी मान्यता द्वारा संरक्षित, यह विरासत, पारंपरिक हाथ से कटाई, और स्थानीय किसानों के लिए आर्थिक मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है.
अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए प्रसिद्ध, यह "लाल सोना" प्रकृति, परंपरा और शिल्प कौशल का मिश्रण है.
6. श्रीमद् भगवद गीता (रूसी भाषा में)
महाभारत का एक हिस्सा, श्रीमद् भगवद गीता, अर्जुन को कर्तव्य, अमर आत्मा और आध्यात्मिक मुक्ति के बारे में भगवान कृष्ण का मार्गदर्शन प्रस्तुत करती है.
इसका कालातीत ज्ञान नैतिक जीवन, मन पर नियंत्रण और आंतरिक शांति के लिए प्रेरित करता है, और अनुवादों ने इसे दुनिया भर के आधुनिक पाठकों के लिए सुलभ बनाया है.