Sawan 2025: जानें कांवड़ यात्रा और सावन शिवरात्रि का क्या है संबंध? क्यों इस दिन शिव को जल सबसे प्रिय होता है?
Sawan 2025: सावन के पवित्र महीने में गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करना बहुत ही पुण्य का फल देता है, सावन 2025 की शुरुआत हो चुकी है, भक्त गंगाजल लेकर कावड़ यात्रा पर निकल चुके हैं लेकिन सावन में शिवरात्रि के दिन गंगाजल से शिवलिंग के अभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है आईए जानते हैं इसके बारे में..
शिवरात्रि 2025
सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है ऐसे में देश भर से लाखों भक्त भगवान शिव का जिला अभिषेक कर रहे हैं इस बार की शिवरात्रि 23 जुलाई बुधवार को है।
कावड़ यात्रा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन से निकला हुआ विष भगवान शिव ने ग्रहण कर लिया था और उनका पूरा शरीर नीला पड़ गया था ऐसे में भगवान शिव की पीड़ा को शांत करने के लिए रावण ने कांवर में पवित्र गंगाजल भरकर महादेव पर चढ़ाया जाता है जिससे शिव को राहत मिली थी, तभी से कावड़ यात्रा की शुरुआत हुई।
शिवरात्रि का पौराणिक महत्व
सावन मास की शिवरात्रि त्रयोदशी और चतुर्दशी की संधि तिथि पर मनाई जाती है लोगों की ऐसी भी मानता है कि यह दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का भी है।
बोल बम का उद्घोष
कावड़ यात्रा के दौरान भक्ति बोल बम का जय घोष करते हुए आगे बढ़ते हैं जो भगवान शिव की भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक होता है।
कावड़ यात्रा का नियम
कावड़ यात्रा करने वाले भक्त गंगाजल लेकर शिवलिंग तक नंगे पांव शुद्ध और शाकाहारी भोजन करते हुए पहुंचते हैं और भगवान शिव पर जल अर्पित करते हैं।
भगवान शिव का आशीर्वाद
ऐसी मान्यता है की कावड़ यात्रा करने से और शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल अर्पित करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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