First Indian AC Train: जानें कब शुरू हुई एसी कोच वाली ट्रेन और ठंडा रखने के लिए करते थे ये काम
हमारे देश में आधे से ज्यादा लोग ट्रेन से सफर करते हैं। ट्रेन में सफर करना आसान और सस्ता होता है एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए यह सबसे अच्छा माध्यम है ट्रेन में सफर करने का अपना एक अलग मजा होता है जब ट्रेन का टिकट एसी कोच में होता है तो बाहर का नजारा देखने लायक होता है वह बाहर का नजारा बहुत ही खूबसूरत नजर आता है
भारत मे एसी ट्रेन कब चली थी ?
भारत में ऐसा माना जाता है कि भारत में एसी ट्रेन 1928 में चली थी यह ट्रेन अंग्रेजों ने अपने लिए चलवाई थी पहले उस ट्रेन का नाम “पंजाब मेल” नाम से जाना जाता था लेकिन 1934 में ट्रेन में एसी कोच को जोड़ने के बाद उसका नाम बदलकर “फ्रंटियर मेल” रखा गया ।
कहां से कहां तक चली थी
भारत में पहली ऐसी ट्रेन मुंबई सेंट्रल से लेकर अमृतसर तक चली थी और उसे समय अंग्रेज अधिकारी काफी संख्या में इसमें सफ़र किया करते थे।
कैसे ठंडा रखा जाता था
एसी वाले कोच को ठंडा रखने के लिए कोई भी तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जाता था उसे समय उसे ट्रेन को ठंडा रखने के लिए बर्फ की सिल्लियों का इस्तेमाल किया जाता था उस समय ट्रेनों में की चैंबर बनाए जाते थे जिसमें बर्फ सिल्लियों को डाला जाता था।
लेट होने की वजह से शुरू हुई थी जांच
उस समय ऐसी पाबंदी थी कि को ट्रेन लेट नहीं चल सकती है ऐसा कहा जाता था कि अगर एक बार ट्रेन अपने समय से चलना शुरू कर दे तो 15 मिनट देरी पहुंचने पर जांच की जाएगी।
आज भी चलती है गोल्डन टेंपल मेल ट्रेन?
समय के साथ-साथ ट्रेन का रंग रूप सभी बदल जाता है और आज भी यह ट्रेन चलती है अभी ट्रेन आधुनिक हो चुकी है और इसमें काफी सारे एसी के डब्बे जुड़ गए हैं।
मनोरंजन की भी होती थी सुविधा
उस समय शुरुआत में ट्रेन में 6 डिब्बे हुआ करते थे उसमें कम से कम 450 लोग के आसपास तक सफर किया करते थे उसे समय यात्रियों की सुविधा दी गई थी जैसे उन्हें भोजन, न्यूजपेपर, किताबें और मनोरंजन के लिए ताश भी दिए गए थे।
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. inkhabar इसकी पुष्टि नहीं करता है.