National Unity Day: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह गुजरात के केवड़िया पहुंचे, जहां उन्होंने लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर पुष्पांजलि अर्पित की. इस अवसर पर, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र की एकता, अखंडता और विविधता के प्रतीक एकता दिवस परेड का नेतृत्व किया. इस वर्ष की परेड को गणतंत्र दिवस समारोह की तर्ज पर भव्य रूप से डिज़ाइन किया गया है. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के सामने राष्ट्र की एकता और शक्ति का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिला.
सरदार पटेल पूरी तरह से जनसेवा के लिए समर्पित थे-पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरदार पटेल पूरी तरह से जनसेवा के लिए समर्पित थे. वे एकता और अखंडता के प्रतीक थे और उन्हें भारत की एकता का शिल्पी कहा जा सकता है. सरदार पटेल ने स्वतंत्र भारत की नींव रखी और छोटे-छोटे स्वतंत्र प्रांतों को एकजुट करके एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण किया. उनका योगदान हर भारतीय के लिए प्रेरणास्रोत है. प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को एकता की शपथ भी दिलाई.
अमित शाह ने अर्पित की श्रद्धांजलि
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के सम्मान में मनाए जाने वाले राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर उनकी प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की.
सीएम य़ोगी ने न फॉर यूनिटी’ को दिखाई झंडी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर ‘रन फॉर यूनिटी’ को झंडी दिखाई.
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 से लगातार भारत माता के ऐसे सपूतों को सम्मान देने के लिए जो अभियान शुरू किया, 31 अक्टूबर को पूरे देश में 600 से अधिक स्थानों पर रन फॉर यूनिटी का आयोजन हो रहा है…भारत के युवाओं के मन में एक नई राष्ट्र भक्ति की भावना का संचार करने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम हो रहा है.”
सरदार साहब ने देश की संप्रभुता को सबसे ऊपर रखा-पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “सरदार साहब ने देश की संप्रभुता को सबसे ऊपर रखा लेकिन दुर्भाग्य से सरदार साहब के निधन के बाद के वर्षों में देश की संप्रभुता को लेकर तब की सरकारों में उतनी गंभीरता नहीं रही. एक ओर कश्मीर में हुई गलतियां, दूसरी ओर पूर्वोत्तर में पैदा हुई समस्याएं और देश में जगह-जगह पनपा नक्सलवाद-माओवादी आतंक, ये देश की संप्रभुता को सीधी चुनौतियां थी लेकिन उस समय की सरकारों ने सरदार साहब की नीतियों पर चलने की जगह रीढ़विहीन रवैये को चुना. इसका परिणाम देश ने हिंसा और रक्तपात के रूप में झेला. “

