Kovidar Tree: कोविदार वृक्ष का धार्मिक महत्व क्या है? क्यों इसे ध्वजा पर किया गया अंकित?
Kovidar Tree: राम मंदिर के ध्वजा पर अंकित कोविदार वृक्ष का क्या है धार्मिक महत्व, जानें इस वृक्ष को आखिर क्यों अंकित किया गया.
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25 नवंबर को राम मंदिर में ध्वजारोहण के समय देखा गया कि पताका या ध्वज पर कोविदार वृक्ष का चिन्ह अंकित किया गया था. कोविदार वृक्ष के साथ-साथ इसपर सूर्य भी अंकित है. लोगों के मन में इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं आखिर कोविदार वृक्ष का क्या महत्व है.
kovidar tree
कोविदार वृक्ष के बारे में कहा जाता है कि यह मंदार और पारिजात के संकरण (Hybridization Name) से बना वृक्ष है.
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रामायण काल की बात करें तो इस वृक्ष को ऋषि कश्यप ने बनाया था. यह वृक्ष देवताओं का प्रिय है. साथ ही अगर यह वृक्ष आपके आस-पास है तो इससे सकारात्मक (Positive Vibes) का अनुभव होता है,
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कोविदार वृक्ष के गुणों को देखा जाए तो यह आयुर्वेद में यह वृक्ष बहुत ही उपयोगी माना जाता है. माना जाता है कि इसके फूल, पत्तियां और छाल कई रोगों में औषधि के रूप में प्रयुक्त होती हैं.
tree found at these places
इस वृक्ष को अधिकतर पहड़ों में, जंगलों में और सूखे क्षेत्रों में पाया जाता है. ज्यादातर यह वृक्ष उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, उत्तराखंड में पाया जाता है.
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मान्यता है त्रेता युग में अयोध्या का राज चिन्ह भी कोविदार वृक्ष था. कोविदार वृक्ष को धर्म और सत्ता का प्रतीक माना गया है. इसी कारण इसे राम मंदिर में ध्वज पर अंकित किया गया है.
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पीएम मोदी ने इस वृक्ष को संकल्प का प्रतीक बचाया और सदियों पुराने स्वप्न का रूप. इस भगवा रंग पर अंकित इस चिन्ह को राम राज्य का प्रतीक माना गया है जो हमारी संस्कृति को दर्शाता है.