सर्दियों में गर्दन-कंधे का दर्द क्यों बढ़ता है? आयुर्वेद और साइंस बताते हैं राहत के आसान देसी उपाय
Home remedies for pain in winter: सर्दियों का मौसम केवल ठंड ही नहीं, बल्कि शरीर से जुड़ी कई छुपी हुई समस्याएं भी साथ लाता है. इनमें सबसे आम समस्या गर्दन और कंधों का दर्द है, जिसे लोग अक्सर मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों मानते हैं कि अगर इस दर्द पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह आगे चलकर नसों, जोड़ों और मांसपेशियों से जुड़ी गंभीर दिक्कतों का रूप ले सकता है.
ठंड में अकड़ने लगती हैं मांसपेशियां
ठंड के मौसम में धूप कम मिलती है, शारीरिक गतिविधियां घट जाती हैं और शरीर की मांसपेशियां धीरे-धीरे अकड़ने लगती हैं. सुबह उठते ही गर्दन जमी हुई महसूस होती है और दिनभर कंधों में भारीपन बना रहता है. आयुर्वेद के अनुसार, सर्दियों में वात दोष बढ़ जाता है. वात दोष का सीधा संबंध सूखापन, जकड़न और दर्द से होता है. ठंडी हवा शरीर में प्रवेश कर जोड़ों और मांसपेशियों को सख्त कर देती है. वहीं विज्ञान के मुताबिक, ठंड लगने पर रक्त नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे गर्दन और कंधों तक खून और ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. यही वजह है कि दर्द और जकड़न बढ़ जाती है.
सबसे प्रभावी उपाय गर्म तेल से मालिश
इस समस्या से राहत पाने के लिए सबसे प्रभावी उपायों में से एक है गर्म तेल से मालिश. आयुर्वेद में अभ्यंग यानी तेल मालिश को औषधि के समान माना गया है. तिल या सरसों के तेल को हल्का गर्म करके गर्दन और कंधों पर लगाने से गर्माहट सीधे मांसपेशियों तक पहुंचती है. इससे रक्त संचार बेहतर होता है और जमी हुई मांसपेशियां धीरे-धीरे ढीली पड़ने लगती हैं. विज्ञान भी मानता है कि मालिश से नर्व एंडिंग्स सक्रिय होती हैं, जिससे दर्द के संकेत दिमाग तक कम पहुंचते हैं और आराम महसूस होता है.
गर्म सिकाई भी दर्द से राहत देने में मददगार
गर्म सिकाई भी दर्द से राहत देने में मददगार होती है. गर्दन या कंधों पर गर्म पानी की बोतल या गुनगुना तौलिया रखने से गर्मी त्वचा के रास्ते अंदर जाती है और ब्लड फ्लो बढ़ाती है. इससे सूजन कम होती है और मांसपेशियों को पोषण मिलता है. कुछ स्थितियों में हल्की ठंडी सिकाई भी फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि यह सूजन को शांत करती है.
हल्की एक्सरसाइज, स्ट्रेचिंग और योग
सर्दियों में हल्की एक्सरसाइज, स्ट्रेचिंग और योग को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. गर्दन को धीरे-धीरे दाएं-बाएं घुमाना, ऊपर-नीचे झुकाना और कंधों को गोल-गोल घुमाना मांसपेशियों में जमा तनाव को कम करता है. आयुर्वेद कहता है कि शरीर को पूरी तरह स्थिर नहीं, बल्कि संतुलित गति की जरूरत होती है. विज्ञान के अनुसार, नियमित स्ट्रेचिंग से मांसपेशियों का लचीलापन बढ़ता है और ठंड में भी वे बेहतर तरीके से काम कर पाती हैं.
खानपान की भी गर्दन और कंधों के दर्द में अहम भूमिका
खानपान भी गर्दन और कंधों के दर्द में अहम भूमिका निभाता है. सर्दियों में गर्म, पका और ताजा भोजन शरीर को अंदर से ताकत देता है. अदरक और हल्दी जैसे मसाले सूजन कम करने वाले माने जाते हैं. आधुनिक विज्ञान भी स्वीकार करता है कि इनमें मौजूद तत्व दर्द पैदा करने वाले रसायनों को कम करते हैं, जिससे जोड़ों और मांसपेशियों को राहत मिलती है.
मानसिक तनाव बढ़ा सकता है दर्द
इसके अलावा मानसिक तनाव भी दर्द को बढ़ा सकता है. गहरी सांस लेने, प्राणायाम और हल्के ध्यान से मन शांत होता है. जब दिमाग तनावमुक्त होता है, तो शरीर की मांसपेशियां भी अपने आप रिलैक्स हो जाती हैं. विज्ञान के अनुसार, तनाव कम होने से शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है और दर्द की तीव्रता घट जाती है. सही दिनचर्या और इन आसान उपायों को अपनाकर सर्दियों में गर्दन और कंधों के दर्द से काफी हद तक बचा जा सकता है.